छत्तीसगढ़

अबूझमाड़ की बदलती तस्वीर गाती है विकास गाथा – केदार कश्यप

नारायणपुर लोक सुराज अभियान के 10 वें दिन आज आदिम जाति विकास मंत्री श्री केदार कश्यप नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ ओरछा...

देवपुरी स्थित 100 साल पुराना शीतला माता मंदिर के रास्ते को RDA द्वारा बेच दिया गया है

जिसके विरोध मे माननीय विधायक श्री सत्यनारायण शर्मा जी. पंकज शर्मा जी. पार्षद लछ्मी हिरेनद् देवॉगन के नेतृत्व मे पुरे...

लोक सुराज अभियान में बहुत सारे ग्रामीणों की नही सुनी गई समस्या गांव वालों में आक्रोश….

आरंग - निषदा, गोविंदा में आज लोक सुराज अभियान शिविर लगाया गया कलेक्टर से लेकर सारे बड़े अधिकारी आये हुवे...

राजकुमार सोनी की किताबों का विमोचन 24 मार्च को रायपुर में

रायपुर/ छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले पत्रकार राजकुमार सोनी की दो पुस्तक - भेड़िए और...

मुख्यमंत्री ने श्रीराधा कृष्ण मन्दिर व गनपत राय सेवा प्रतिष्ठान का लोकार्पण किया…

चैत्र नवरात्रि के तृतीय के विशेष दिवस में श्रीराधा कृष्ण मंदिर तथा गनपत राय सेवा सदन (गर्ल्स हॉस्टल) का आज...

छत्तीसगढ़ के कई जिलों में सिचाईं व्यवस्था ठीक नही…

रायपुर/20 मार्च 2018। राज्य में सिंचाई की स्थिति पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेन्द्र साहू, कांग्रेस विधायक दल के उपनेता प्रतिपक्ष कवासी...

लोक सुराज अभियान  ढकोसला और दिखावा मात्र है, वहा कोइ कार्यवाही नहीं होती है  – अब्दुल जाकिर

मैनपुर | छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के मैनपुर शहर अध्यक्ष अब्दुल जाकिर ने लोक सुराज अभियान को ढकोसला बताते हुए कहा...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।