*राष्ट्रीय जनगणना जातिगत किए जाने के केंद्र सरकार के फैसला का ओबीसी महासभा ने किया स्वागत*

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*राष्ट्रीय जनगणना जातिगत किए जाने के केंद्र सरकार के फैसला का ओबीसी महासभा ने किया स्वागत*

 

 

*ओबीसी महासभा के विजन आबादी के बराबर हिस्सेदारी का पहला मिशन राष्ट्रीय जनगणना में ओबीसी की जातिगत जनगणना के मुद्दे पर केबिनेट का बड़ा फैसला*
*94 साल बाद पहली बार होगी आजाद भारत में जातिगत जनगणना* ओबीसी राधेश्याम
*केंद्र सरकार के जातिगत जनगणना के फैसले से ओबीसी समुदाय में हर्ष*
*जातिगत जनगणना का फैसला ओबीसी महासभा के संघर्ष का परिणाम*

 

रायपुर:-भारत सरकार द्वारा कैबिनेट के बैठक में राष्ट्रीय जनगणना जातीय आधारित होने के फैसले से ओबीसी समुदाय में उल्लास का संचार हुआ है। जाति आधारित जनगणना होने से निश्चित ही सामाजिक न्याय एवं समावेशी विकास का रास्ता खुलेगा इससे समतामूलक समाज की स्थापना होगी ।
प्रदेश अध्यक्ष राधेश्याम साहू एवं रायपुर संभाग अध्यक्ष हेमन्त साहू ने संयुक्त रूप से बताया कि संविधान में सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए समुदायों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में तीन वर्गों में वर्गीकृत किया गया है ।जनगणना में तीनों वर्गों की दशाओं के आंकड़े एकत्र किए जाने चाहिए ।अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की जनगणना तो प्रति 10 वर्ष में होती है ,किंतु अन्य पिछड़ा वर्ग की जनगणना 1931 के बाद से नहीं हुई है ।आजाद भारत में पहली बार ओबीसी की जाति आधारित जनगणना केंद्र सरकार करेंगी ।उन्होंने आगे बताया कि संविधान के अनुच्छेद 340 के परिपालन में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए गठित आयोगों (काका कालेलकर आयोग, मंडल आयोग एवं मध्य प्रदेश रामजी महाजन आयोग) द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग की जनगणना करायें जाने बाबत अनुशंसा की गई है। तद्नुसार इस हेतु संसद में बनी सहमति के आधार पर राष्ट्रीय जनगणना 2011 में पृथक से अन्य पिछड़ा वर्ग के आंकड़े एकत्रित करने की प्रयास किए गए, किंतु अधिकृत रूप से आंकड़े प्रकाशित नहीं किए गए। उन्होंने आगे बताया कि ओबीसी महासभा द्वारा लंबे समय से ज्ञापन देकर राष्ट्रीय जनगणना 2021 की जनगणना फॉर्मेट में ओबीसी का कालम बनवाने शासन प्रशासन के माध्यम से निवेदन किया गया है ।जिसके परिणाम स्वरूप भारत सरकार ने जातिगत जनगणना का फैसला लिया है। राष्ट्रीय जनगणना में ओबीसी की जनगणना किए जाने से उनकी जनसंख्या एवं परिस्थितियों का आकलन हो पाएगा जिससे संवैधानिक प्रतिबद्धता पूर्ण हो पाएगी ।उन्होंने आगे बताया विश्व की सबसे बड़े लोकतांत्रिक भारत देश में बहुसंख्यक ओबीसी समुदाय की जनगणना किए जाने से सामाजिक, शैक्षिक एवं आर्थिक विकास एवं आबादी के बराबर हिस्सेदारी प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा।

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