छत्तीसगढ़

वक्ता मंच द्वारा जरूरतमंदों के लिए राशन प्रदान किया गया

रायपुर । लॉक डाउन के दौरान जरूरतमंद व्यक्तियों तक आवश्यक जीवनोपयोगी वस्तुओं को पहुँचाने की स्मार्ट सिटी रायपुर की पहल...

बालोद प्रेस क्लब ने लोगों से की 21 दिनों तक घरों में रहने की अपील, जागरूक रहें, सुरक्षित रहे।

बालोद। कोरोना वायरस को लेकर जहां दुनियाभर के लोग डरे, सहमें हैं। इससे प्रभावितों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।...

पतंजलि आरोग्य केन्द्र गुरूर मे बांटी जा रही है निशुल्क मास्क.

बालोद.. जिला के गुरूर ब्लॉक में पतंजलि स्वदेशी केंद्र व पतंजलि आरोग्य केंद्र गुरूर के संचालनकर्ता भीषम सिन्हा द्वारा निशुल्क...

कोरोना वायरस के संबंध मे मैनपुर जनपद पंचायत मे अनुविभाग स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित- इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद

इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद सर्वोच्च छत्तीसगढ़ न्यूज़ गरियाबंद मैनपुर/इतेश सोनी :- शासन के निर्देशानुसार अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं अनुविभागीय...

समाज के जिम्मेदार नागरिक आगे आकर कर रहे है अपील लाॅक डाउन का करो पालन- इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद

इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद सर्वोच्च छत्तीसगढ़ न्यूज़ गरियाबंद मैनपुर/इतेश सोनी - विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना संक्रमण को महामारी...

कोरोना वायरस ना फैले इस लिए बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश निषेध. कहाँ हुआ कोन कोन से गांव है पढ़े पूरी ख़बर.

बालोद. जिला बालोद अंतर्गत विकास खंड गुरूर के ग्राम मोखा. टेगना बरपारा. भानपूरी . बागतराई. जैसे कई गांव के लोगों...

मैनपुर पुलिस जवानों ने गरीब असहाय लोगों को खाने पीने की सामान किया वितरित – इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद

कानून व्यवस्था की अपील के साथ ऐहतियात बरतने लोगो से की जा रही अपील मैनपुर/ इतेश सोनी :- स्वेच्छा से...

कलेक्टर की अपील पर मात्र 24 घण्टे में दानस्वरूप मिले 11.58 लाख रूपए नकद व 15 लाख रुपए की सामग्री

तालाबंदी के दौरान शहर के समाजसेवियों और संस्थाओं ने मदद के लिए खुलकर बढ़ाए हाथ निचले तबके के प्रभावितों को...

भोपाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस और विधानसभा की गतिविधियों में शामिल राज्य के पत्रकारों के लिए सूचनार्थ .

मेरी जानकारी में आया है कि मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री की 20 मार्च को भोपाल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस और...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।