छत्तीसगढ़

मैनपुर नगरवासियों ने बैठक लेकर एक सप्ताह तक संपूर्ण लाॅक डाउन करने का लिया फैसला- इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद

बंद के दौरान सामान बेचते पकड़े जाने पर 5100 रूपये का देना हो अर्थदण्डसोमवार को नही लगेगी सप्ताहिक बाजार मेडिकल...

कलेक्टर ने रिमझिम बारिश के बीच मैनपुर के गांवों का किया निरीक्षण , जिला संवाददाता – उरेन्द्र कुमार साहू

मैनपुर / गरियाबंद | गरियाबंद कलेक्टर छतर सिंह देहरे रिमझिम बारिश के बीच अचानक मैनपुर विकासखंड के विभिन्न गांवों में...

समर्पण युवा संगठन ग्राम खुटेरी द्वारा शिक्षक सम्मान समारोह व वृक्षारोपण कार्यक्रम जिला संवाददाता उरेन्द्र कुमार साहू

फिंगेश्वर | उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्रीमतीपुष्पा जगन्नाथ साहू अध्यक्ष जनपद पंचायत फिंगेश्वर श्रीमती कीर्ति गजेन्द्र निषाद सभापति वनविभाग...

कलेक्टर ने किया मैनपुर विकासखण्ड का दौरा अधिकारियो को दिया निर्देश – इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद

गिरदावरी का किया सत्यापन, पोषण वाटिका में उगाये सब्जी देखकर प्रसन्नता व्यक्त की इतेश सोनी गरियाबंद मैनपुर - गरियाबंद जिला...

मैनपुर क्षेत्र में पहली बार एक साथ 15 कोरोना पाॅजीटिव मिलने से मचा हडकम्प- इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद

जाड़ापदर, कुल्हाड़ीघाट, ठेमली, उरमाल, कोकड़ीमाल मे कोरोना संक्रमित मिलने के बाद कन्टेनमेंट जोन बनाने की तैयारी कि जा रही है...

एनएसयूआई विधानसभा अध्यक्ष प्रवीण बाम्बोड़े आज शनिवार को एक दिवसीय देवभोग प्रवास पर- इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद

आई टी सेल एवं एनएसयुआई कार्यकर्ताओं की लेंगे बैठक इतेश सोनी मैनपुर - एनएसयुआई बिंद्रानवागढ़ विधानसभा अध्यक्ष प्रवीण बाम्बोड़े शनिवार...

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा काली पटटी लगाकर विरोध प्रदर्शन- इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद

इतेश सोनी मैनपुर गरियाबंद - छत्तीसगढ प्रदेश कर्मचारी संघ के आह्वान पर आज गुरूवार को तहसील मुख्यालय मैनपुर स्वास्थ्य विभाग...

बिजली कटौती से परेशान , विभाग के खिलाप प्रदर्शन, जिला संवाददाता – उरेन्द्र कुमार साहू

फिंगेश्वर | फिंगेश्वर व अन्य विधुत वितरण क्षेत्र के आम उपभोक्ता एंव किसान अघोषित बिजली कटौती और विभाग की लापरवाही...

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कालीपट्टी बांधकर किया काम , जताया विरोधी, जिला संवाददाता – उरेन्द्र कुमार साहू

गरियाबंद | छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ के आव्हान पर बुधवार 9 सितंबर को स्वास्थ्य विभाग जिला कार्यालय एवं समस्त...

सूचना आयुक्त ने त्वरित कार्रवाई पर एसपी पटेल को दिया धन्यवाद, जिला संवाददाता – उरेन्द्र कुमार साहू

गरियाबंद | राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एमके राउत ने पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल को पत्र भेज कर उनका धन्यवाद ज्ञापित...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।