छत्तीसगढ़

बाजार अतरिया, डोकराभाठा में विक्रांत सिंह ने किया स्मार्ट फोन वितरण*

*बाजार अतरिया, डोकराभाठा में विक्रांत सिंह ने किया स्मार्ट फोन वितरण* *रिपोर्ट- यतीश साहू* *_खैरागढ़ः- प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह...

रमन सिंह की अटल विकास यात्रा सिर्फ सरकारी तंत्र का दुरूपयोग-संजय नेताम*

*रमन सिंह की अटल विकास यात्रा सिर्फ सरकारी तंत्र का दुरूपयोग-संजय नेताम* *मैनपुर :-* बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र के युवा कांग्रेस...

प्राणी यदि भगवान को प्राप्त करना चाहता है तो सदा सत्य बोलना चाहिए : शंकराचार्य…

प्राणी यदि भगवान को प्राप्त करना चाहता है तो सदा सत्य बोलना चाहिए : शंकराचार्य खबरीलाल रिपोर्ट (वृंदावन) ::- जगद्गुरु...

जगत के हित के लिए भगवान का अवतार होता है : स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती…

जगत के हित के लिए भगवान का अवतार होता है : स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती। खबरीलाल रिपोर्ट (वृंदावन) ::-  ज्योतिष एवं...

गरियाबन्द जिले में नदी नाले उफान पर, आवागमन बंद, रा.का.पा. जिलाध्यक्ष ने दौरा कर लिया जायजा …

गरियाबन्द जिले में नदी नाले उफान पर, आवागमन बंद, रा.का.पा. जिलाध्यक्ष ने दौरा कर लिया जायजा । (तीव कुमार सोनी-गरियाबंद)...

सहायक शिक्षक फेडरेशन ने किया प्रदर्शन चार सूत्रीय मांगों को लेकर निकाली जिलास्तरीय रैली…

सहायक शिक्षक फेडरेशन ने किया प्रदर्शन चार सूत्रीय मांगों को लेकर निकाली जिलास्तरीय रैली गरियाबंद छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के...

शंकराचार्य आश्रम में स्वामी सदानन्द सरस्वती  का प्राकट्य उत्सव मनाया गया..

शंकराचार्य आश्रम में स्वामी सदानन्द सरस्वती  का प्राकट्य उत्सव मनाया गया। रायपुर :: रायपुर के बोरियाकला में स्थित भगवती राजराजेश्वरी मंदिर...

गरियाबंद में श्री राष्ट्रीय करणी सेना का गठन …

गरियाबंद में श्री राष्ट्रीय करणी सेना का गठन । श्री राष्ट्रीय करनीसेना के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह तोमर द्वारा राजेश...

झमाझम बारिश के चलते बालोद जिले में पानी ही पानी जलभराव— 36 फिट

झमाझम बारिश के चलते बालोद जिले में पानी ही पानी तांदुला ... बालोद. जिले में झमाझम बारिश से बालोद जिले...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।