छत्तीसगढ़

20 अप्रैल को शंकराचार्य जयंती तथा 22 अप्रैल को भगवती राजराजेश्वरी का पाटोत्सव मनाया जाएगा।

रायपुर के बोरियाकला स्थित जगद्गुरु शंकराचार्य आश्रम व भगवती राजराजेश्वरी मंदिर में 20 अप्रैल को आदि शंकराचार्य भगवान का 2525...

दि.9/04/2018 को प्राइवेट स्कूलों द्वारा की जा रही लूट पर नियंत्रण के लिए फीस नियामक समिति के गठन की मांग मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के समक्ष उठाई गई। ग्राहक पंचायत के प्रतिनिधि मंडल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से उनके निवास पर चर्चा की।

चर्चा में मुख्यमंत्रीजी को जानकारी दी गई कि शिक्षण सत्र की शुरुवात के साथ पालको को प्राइवेट स्कुल की मनमानी...

सिटी महा कालीबाड़ी में 15 अप्रैल को अमावस्या पूजा

बंगाली नववर्ष (पहला बैसाख) के उपलक्ष्य पर रायपुर सिटी महा कालीबाड़ी एवं विश्वनाथ मंदिर समिति द्वारा आगामी 15 अप्रैल रविवार...

मंत्री श्री केदार कश्यप की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना की राज्य स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक

स्कूल शिक्षा एवं आदिम जाति विकास मंत्री श्री केदार कश्यप की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में प्रधानमंत्री...

पूज्य शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का बिलासपुर में हुआ भव्य स्वागत

पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के बिलासपुर आगमन पर उनका भव्य स्वागत किया गया तथा उनका पादुका पूजन मंगत...

श्री शंकराचार्य हॉस्पिटल में गरीबों को मुफ्त सेवा दी जा रही है : आईपी मिश्रा

खबरीलाल एक्सक्लूसिव ::- श्री शंकराचार्य हॉस्पिटल भिलाई बहुत ही कम समय मे माइलस्टोन अचीव किया है जिसके लिए संस्था के...

गुरु और शिष्य का संबंध प्रश्न एवं उत्तर का होता है : अविमुक्तेश्वरानंद

ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ट्रैन...

बंगाली लेडीज क्लब के स्थापना दिवस मनाया गया

बिलासपुर के टिकरापारा में स्थित बंगाली लेडीज क्लब के सभी सदस्यों ने मिलकर बिलासपुर के रोटरी क्लब सभागृह में क्लब...

जापान जाने वाले प्रावीण्य सूची में चयनित 6 विधार्थियो से मिले स्कूल शिक्षा मंत्री – केदार कश्यप

रायपुर/05 अप्रेल 2018 सकुरा साइंस प्रोग्राम के तहत साइंटिस्ट की सोच लाने के लिए प्रदेश से 6 बच्चों का चयन...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।