गुरु और शिष्य का संबंध प्रश्न एवं उत्तर का होता है : अविमुक्तेश्वरानंद

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ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ट्रैन मार्ग द्वार 8 अप्रैल को श्रीविद्या मठ, बनारस से रायपुर स्थित शंकराचार्य आश्रम में पधारे हैं । उनके आश्रम में पहुंचने के पश्चात उपस्थित भक्तों ने उनका भव्य स्वागत किया तथा आशीर्वाद प्राप्त किया। इस विशेष दिन में आचार्य धर्मेंद्र एवं आचार्य महेंद्र तिवारी ने पूज्य स्वामी जी का पादुका पूजन व आरती करने के पश्चात उन्हें माला पहनाकर स्वागत किये और आशीर्वाद प्राप्त किये। पूज्य स्वामी जी का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु बेमेतरा के सलदाह धाम के ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद जी महाराज भी उपस्थित हुए।

अपने आशीर्वचन में पूज्य दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने उपस्थित भक्तों – पंडरिया विधायक मोतीराम चंद्रवंशी, बेमेतरा विधायक अवधेश चंदेल, श्रीकृष्ण तिवारी, एमएल पांडेय, श्रीमती तारिणी तिवारी, रत्नेश शुक्ला, नरसिंह चंद्राकर, भूपेंद्र पांडेय, शैलू नंदा, सोनू चंद्राकर, श्रीमती ज्योति नायर, रमेश शर्मा, डॉ रघुनंदन तिवारी व आदि उपस्थितजनों से

कहा कि गुरु और शिष्य का संबंध प्रश्न और उत्तर जैसा है। गुरु उत्तर होते हैं और शिष्य प्रश्न। शिष्यों के भिन्न प्रकार के प्रश्नों का सदुत्तर केवल गुरु ही दे सकता है। आगे उन्होंने कहा कि आज शिष्य बहुत कम प्रश्न करते या पूछते हैं लेकिन श्रवण का भी महत्त्व है। जो शिष्य अपने अंदर के जिज्ञासा को पवित्र भाव से अपने गुरु से प्रश्न करे उसका उत्तर त्वरित शिष्य के अंतरात्मा में चला जाता है जिसे वह जिंदगी भर नहीं भूलता है और वही शिष्य आगे चलकर ऊंचा मुकाम हासिल करता है। पूज्य स्वामी जी ने आगे कहा कि शरीर हमारा नही है , शरीर केवल शरीरी है मात्र। जिस दिन प्राणी यह समझ जाएगा उस दिन उसके दुःख-कष्ट खत्म हो जाएंगे। साथ ही स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने उपस्थित भक्तों से कहा कि अल्प में ही संतुष्ट रहना सीखना होगा। आज जो देश मे भ्रष्टाचार व्याप्त है वह केवल अपने मन के अंदर लालच रूपी लहरों के उठने के कारण है। व्यक्ति यह नहीं सोचता कि किसी भी तरह का उपार्जन वह अंत समय मे अपने साथ नहीं ले जा सकता है। आज देखने मे यह आता है कि कम आये करने वाले व्यक्ति एक करोड़पति, अरबपति व्यक्ति से कहीं ज्यादा सुखी और शांतिमय जीवन बिताते हैं। 

आश्रम प्रमुख ब्रह्मचारी डॉ इंदुभवानंद जी महाराज ने बताया कि 9 अप्रैल को स्वामीजी छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के ग्राम परपोड़ा जाएंगे जहाँ वे 9 अप्रैल से 15 अप्रैल तक सात दिन व्यापी समस्त ग्रामवासी एवं क्षेत्रवासियों को अपने श्रीमुख से भागवद कथा का रस पान करवाएंगे तथा धर्म संदेश भी देंगे।

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