छत्तीसगढ़

लोग राजनीति की जगह अनीति कर रहे हैं : अविमुक्तेश्वरानंद

लोग राजनीति की जगह अनीति कर रहे हैं : अविमुक्तेश्वरानंद सुदीप्तो चटर्जी "खबरीलाल" (काशी) ::- मंदिर बचाओ महायज्ञ हेतु इस भीषण...

तेंदुवा नयापारा से सेमरिया खैरझिटीकला सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कें…

देवरबीजा तेंदुवा नयापारा से सेमरिया खैरझिटीकला सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कें ---------------- 1=साजा जनपद...

*जगदलपुर एयरपोर्ट के उदघाट्न की तैयारियों का जायजा लेने पहुँचे प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री श्री केदार*

*जगदलपुर एयरपोर्ट के उदघाट्न की तैयारियों का जायजा लेने पहुँचे प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री श्री केदार*   देश के...

शिक्षाकर्मियों* द्वारा आभार कार्यक्रम …

  आज माननीय *श्री केदार कश्यप* (स्कूल शिक्षा मंत्री छत्तीसगढ़ शासन) का *शिक्षाकर्मियों* द्वारा आभार कार्यक्रम शिक्षाकर्मी महासंघ के संयोजक...

गरीबों को मिला न्याय, अब जिले के 164 प्राईवेट स्कूलों में मिलेगा कक्षा पहली में प्रवेश*

*गरीबों को मिला न्याय, अब जिले के 164 प्राईवेट स्कूलों में मिलेगा कक्षा पहली में प्रवेश* ० कलेक्टर को पैरेट्स...

विगत दिनों हुए भारी वर्षा से प्रभावित/अवरुद्ध हुए बकरकट्टा-साल्हेवारा मुख्य सड़क मार्ग व्यवस्था को किया गया पुनः सुचारू रूप से चालु*

*विगत दिनों हुए भारी वर्षा से प्रभावित/अवरुद्ध हुए बकरकट्टा-साल्हेवारा मुख्य सड़क मार्ग व्यवस्था को किया गया पुनः सुचारू रूप से...

ग्राम घोरदा के एक ग्रामीण के घर में घुसा तेंदुआ, दो लोगो को किया जख्मी…

ग्राम घोरदा के एक ग्रामीण के घर में घुसा तेंदुआ, दो लोगो को किया जख्मी राजनांदगांव। जिले के अंबागढ़ चौकी...

शिक्षा का अधिकार प्रवेश में प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला…

*शिक्षा का अधिकार प्रवेश में प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला* ० पीड़ित पालकों ने जनदर्शन में किया जिला शिक्षा अधिकारी...

हम कोरिडोर योजना का नही, मन्दिरों और मूर्तियों के तोड़ने का विरोध कर रहे हैं – अविमुक्तेश्वरानंद…

हम कोरिडोर योजना का नही, मन्दिरों और मूर्तियों के तोड़ने का विरोध कर रहे हैं - अविमुक्तेश्वरानंद: सुदीप्तो चटर्जी "खबरीलाल"...

You may have missed

” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।