लोग राजनीति की जगह अनीति कर रहे हैं : अविमुक्तेश्वरानंद
लोग राजनीति की जगह अनीति कर रहे हैं : अविमुक्तेश्वरानंद
सुदीप्तो चटर्जी “खबरीलाल” (काशी) ::- मंदिर बचाओ महायज्ञ हेतु इस भीषण गर्मी के दोपहरी में वाराणसी के गाँव वासियों को आमंत्रण देने गाँव गाँव निकले जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि दंडी स्वामी ने गाँव गड़ेखूं में एक गाँव वासी के सवाल पर कहा कि आज कल लोग राजनीति नहीं कर रहे हैं अपितु अनीति कर रहे हैं। यदि लोग राजनीति करते तो न तो पुराणों में वर्णित काशी के मंदिर एवं देव विग्रह टूटते और न ही सनातन धर्मियों के हृदय पर आघात करते साथ ही साथ अभी तक अयोध्या में राम लला का मंदिर भी बनकर तैयार हो जाता। स्वामिश्री: ने पेपर में प्रकाशित समाचार जिसका शीर्षक था – अब केवल 54 विनायक ही हैं ” , इससे स्पष्ट है कि शासन-प्रशासन द्वारा पुराणों में वर्णित दो विनायक मन्दिरों को ध्वंश कर दिए और एक विनायक के मंदिर में प्रशासन ने ताला लगाकर रख दिये हैं जिससे देवताओं की न तो पूजा हो रही है और न ही भोग लग रहा है। इसके अलावा भारत माता मंदिर, व्यास परिवार के राधा कृष्ण मंदिर आदि को तोड़ दिए गए और आगे भी 250 मंदिर तोड़ने की योजना है। क्या यह अनीति नहीं है ?
ग्राम घाटमपुर में एक वृद्ध व्यक्ति ने स्वामिश्री: से पूछा – देवताओं के ऊपर जब हथौड़ा शासन-प्रशासन चला रहे हैं तो देवता स्वयं की रक्षा क्यों नहीं कर लेते ? उनके इस प्रश्न के जवाब में स्वामिश्री: ने कहा कि आपने जो घर मे मंदिर बनाकर देवता का प्राण प्रतिष्ठा कर दोनों समय स्नान, पूजन, आरती और भोग लगाते हैं वे आप खुद करते हैं क्यों कि आपने देवता को अतिथि के रूप में अपने घर बुलाया और उनकी सारी जिम्मेदारी स्नान से लेकर रक्षा तक करने की आपने ली है और यह आपका परम् कर्तव्य भी है। इसी तरह पुराणों में वर्णित मंदिर और देवताओं को हमारे पूर्वजों ने कई हजार वर्ष पूर्व उन्हें अतिथि के रूप में अपने घर बुलाकर उनके लिए मंदिर स्थापित कर उनका प्राण प्रतिष्ठा किये तथा आज समूचे विश्व के श्रद्धालुगण इन प्राचीन मंदिरों, देवताओं, धरोहरों को देखने के साथ साथ देवताओं का आशीर्वाद लेने काशी पहुंचते हैं। काशी देवों की नगरी है जहां मोक्ष की प्राप्ति होती है। काशी गलियों की नगरी है, काशी घाटों की नगरी है जहाँ से गंगा जी का निर्मल प्रवाह अविरल बहता रहता है।
स्वामिश्री ने सभी गांवासियों से कहा कि हम आपके पास न तो वोट के लिए आये हैं और न ही नोट के लिए। हम काशी के पुराणों में वर्णित मंदिरों और अन्य प्राचीन मंदिरों और देवताओं को बचाने हेतु सपोर्ट के लिए आये हैं। अभी तक पुराणों में वर्णित सुमुख विनायक, प्रमोद विनायक के साथ साथ प्राचीन भारत माता मंदिर और काशी के व्यास परिवार के राधा कृष्ण मंदिर को प्रशासन द्वारा तोड़ा गया है जिसमे से दुर्मुख विनायक मंदिर में प्रशासन ने ताला लगा दिया था जिसका विरोध करने पर दुर्मुख विनायक मंदिर को खोल दिया गया है जहाँ हमारे आचार्य दोनो समय भगवान की पूजा, आरती के साथ साथ भोग लगाते हैं। हम शासन और प्रशासन से यह मांग करते हैं कि वे जैसा चाहे विकास करे पर बिना मन्दिरों को तोड़कर करे क्यों कि मंदिर और देवता सनातन धर्मियों के दिल मे बसते हैं और इस तरह सनातन धर्मियों के दिल पर , आस्था पर हतौड़ा न चलाया जाए।