शिक्षा का अधिकार प्रवेश में प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला…
*शिक्षा का अधिकार प्रवेश में प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला*
० पीड़ित पालकों ने जनदर्शन में किया जिला शिक्षा अधिकारी का घेराव
० मुख्यमंत्री के विधान सभा क्षेत्र राजनांदगांव में हुआ
० शिक्षा विभाग ने किया रातों.रात बडा घोटाला
० पूरे जिले में निजी को लाभ पहुंचाने बनी योजना
० जिला शिक्षा अधिकारी को कलेक्टर ने किया कारण बताओ नोटिस जारी
राजनांदगांव। शहर सहित जिले भर में शिक्षा का अधिकार के तहत गरीब बच्चों को प्रवेश देने के लिए ऑन लाईन आवेदन मंगाये गये थे। गरीब पालक बड़े उम्मीदों के साथ अपने बच्चों के निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने का सपना संजोये हुए थे, मगर रातों-रात शिक्षा विभाग एवं निजी स्कूल प्रबंधकों ने मिलीभगत का आरटीई पोर्टल की जानकारी को झुठलाते हुए रिक्त सीट को ही गलत बता दिया गया और नोडल अधिकारियों द्वारा उन पालकों को यह कहकर भगा दिया गया कि निजी स्कूलों रिक्त सीट ही नहीं है। यदि उन स्कूलों में रिक्त सीट था नहीं तो आरटीआई पोर्टल में रिक्त की जानकारी क्यों दी गई और जितनी रिक्त सीट की जानकारी पोर्टल में दिखाई जा रही है, उतने सीट में प्रवेश क्यों नहीं किया जा रहा है। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कर इस घोटाले में संलिप्त दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए और गरीब बच्चों को प्रवेश दिलाने की समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए। सोचने वाली बात यह है कि यदि उक्त निजी स्कूलों में आरटीई के तहत रिक्त सीट नहीं था तो उन्होंने आरटीई पोर्टल में रिक्त सीट की जानकारी क्यों अपलोड कर पालकों को क्यों गुमराह किया गया। इस बात की जानकारी जब कुछ पीड़ित पालकों ने छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल से की तो उन्होंने तत्काल सैकड़ों पालकों के साथ कलेक्टर जनदर्शन में इसकी शिकायत करने पहंुचे, जहां कलेक्टर ने गरीबों पर अन्याय नहीं होने का आश्वासन दिया।
आरटीई भर्ती के लिये कुछ माह पूर्व प्राईवेट स्कूलों से रिक्त सीटों की जानकारी मंगवाई गई और उस रिक्त सीटों की जानकारी वेब पोर्टल में अपलोड किया गया। पालकों ने अपने निवास स्थान के अनुसार प्राईवेट स्कूलों में अपने बच्चों के लिये ऑन लाईन फार्म भरा था, जिसका उनके पास प्रमाण भी है। पूरे जिले में नर्सरी, केजी-1 और कक्षा-1 में प्रवेश देने संबंधी जानकारी वेब पोर्टल में अपलोड किया गया था। सोमवार 11 जून 2018 को 11 बजे से 2 बजे नोडल अधिकारियों के स्कूलों में पालकों के समक्ष लॉटरी निकाला जाना था, लेकिन नोडल अधिकारियों ने सब पालकों को यह जानकारी देकर चौंका दिया कि शिक्षा का अधिकार के अंतर्गत सिर्फ नर्सरी में प्रवेश दिये जाने संबधी आदेश आया है इसलिये बाकी कक्षाओं में प्रवेश निरस्त कर दिया गया है। आरटीई वेब पोर्टल में दिये गये रिक्त साटों के अनुसार प्रवेश दिया जाना था, लेकिन रातो रात अब प्राइवेट स्कूलों की सुविधा के अनुसार से उनकी इच्छा से प्रवेश दे दिया गया।
गरीब पालक विगत एक माह से अपने बच्चों के प्रवेश की राह देख रहे थे और अब नोडल अधिकारियों और जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा कक्षा पहली में प्रवेश नहीं दिये जाने की बात सुनकर पालकों में भारी आक्रोश भर गया है। प्राईवेट स्कूलों को सीधे लाभ पंहुचाने की नियत से नोडल अधिकार और जिला शिक्षा अधिकारी ने पूरे जिले में भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर दिया है, यदि कक्षा पहली में प्रवेश नहीं लेना था तो आरटीई वेब पोर्टल में प्राईवेट में कक्षा पहली के रिक्त सीटों की जानकारी क्यों अपलोड किया गया था और जब जानकारी अपलोड किया गया तो अब प्रवेश देने से क्यों इंकार किया जा रहा है, यह तो शिक्षा का अधिकार के प्रवेश में प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला साबित हो गया है। मुख्यमंत्री और उनके पुत्र सांसद के क्षेत्र में गरीब बच्चों के जीवन व भविष्य के खिलवाड़ करने वाले नोडल अधिकारीयों और जिला शिक्षा अधिकारी पर तत्काल सख्त कार्यवाही किया जाना चाहिए।
*गरीबों बच्चों के भविष्य के साथ नहीं होगा अन्याय : कलेक्टर*
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल को जब पीड़ित पालकों ने सूचना दी तो उन्होंने तत्काल सैकड़ों पालकों के साथ कलेक्टर जनदर्शन में पहंुचकर इसकी शिकायत कलेक्टर भीम सिंह से की। शिकायत के बाद कलेक्टर श्री सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को कारण नोटिस जारी किया गया। वहीं पीड़ित पालकों से कहा कि गलती हुई है, मैं आप लोगों के साथ हूं, अन्याय नहीं होने दूंगा।
*सांचालनालय से हुई गलती : जिला शिक्षा अधिकारी*
इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी एसके भरतद्वाज ने कहा कि सांचालनालय से गलती हुई है। उनके द्वारा गलत जानकारी अपलोड किया गया, जिसकी जानकारी मुझे नहीं थी। क्लास-1 में प्रवेश नहीं लेना है!
*प्राईवेट स्कूलों को लाभ पहंुचाने का काम कर रहा शिक्षा विभाग : पॉल*
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने कहा कि प्राईवेट स्कूल के साथ मिलीभगत कर जिला शिक्षा विभाग द्वारा गरीबों के साथ अन्याय किया जा रहा है। श्री पॉल ने कहा कि मंै तो आरंभ से बोल रहा था कि प्राईवेट स्कूलों को लाभ पहंुचाने की नियत से कम से कम गरीब बच्चों को प्रवेश देने की योजना बन रही है। मेरी बात आज प्रमाणित हो गई। हम गरीब पालकों की हित के लिये इस मामले में मा. उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर रहे है, ताकि गरीब बच्चों को शिक्षा का अधिकार का समुचित लाभ मिल सके।
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