शिवशंकर सोनपिपरे

त्रिपुरा में 2026-27 तक 7000 हेक्टेयर भूमि पर लगाए जाएंगे पाम के पौधे

अगरतला  त्रिपुरा सरकार ने वित्त वर्ष 2026-27 तक 7000 हेक्टेयर भूमि पर पाम के पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है।...

TMKOC: आखिर आ ही गया वो दिन! दयाबेन की वापसी की खुशी में जेठालाल-बाबूजी ने किया गरबा, वीडियो आया सामने

मुंबई तारक मेहता का उल्टा चश्मा कॉमेडी शो बीते 15 सालों से दर्शकों का फेवरेट बना हुआ है। साल 2008...

देश के सात शहरों में ‘अल्ट्रा-लक्जरी’ माकनों की बिक्री तीन गुना हुई: एनारॉक

नई दिल्ली मजबूत मांग के दम पर सात प्रमुख शहरों में इस साल अभी तक 40 करोड़ रुपये से अधिक...

भारत की अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अच्छी खबर: सितंबर तिमाही 7.6% की दर से बढ़ी देश की GDP

नई दिल्ली भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी में जबरदस्त तेजी आई...

भारत-आस्ट्रेलिया के मैच टिकटों की कालाबाजारी करते 4 धरे गये

रायपुर पुलिस के संयुक्त दस्ते ने भारत-आस्ट्रेलिया के मध्य आज होने वाले चौथे टी-20 मुकाबले की टिकटों की कालाबाजारी कर...

मुल्लार्प परियोजन : कृषि विवि को मिला देश का सर्वश्रेष्ठ केन्द्र का पुरस्कार

रायपुर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा संचालित मुल्लार्प परियोजना के तहत इंदिरा गांधी कृषि विश्वाविद्यालय रायपुर केन्द्र को देश के...

DDA ने नरेला में 50 एकड़ जमीन की फाइनल, क्रिकेट स्टेडियम बनाने की है तैयारी

नई दिल्ली दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने  एक पांच सितारा होटल और एक विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधा के साथ एक...

वॉलमार्ट फाउंडेशन ‘ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन’ को 12 लाख अमेरिकी डॉलर का देगा अनुदान

वॉलमार्ट फाउंडेशन 'ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन' को 12 लाख अमेरिकी डॉलर का देगा अनुदान नई दिल्ली  वॉलमार्ट फाउंडेशन ने 'ट्रांसफॉर्म...

लोकसभा चुनाव में हाेगा बहुकोणीय संघर्ष, बसपा की भूमिका होगी अहम: मायावती

लखनऊ  आगामी लोकसभा चुनाव अकेले दम पर लड़ने के लिये कैडरों को तैयार रहने का आवाहन करते हुये बहुजन समाज...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।