विश्व हिन्दी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज ( उ. प्र. ) की छत्तीसगढ राज्य इकाई के तत्वावधान में आयोजित आभासी गोष्ठी

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छत्तीसगढ के अनाम स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान

 

दिनांक 10 मई 2025 को श्री
एम.एल. नत्थानी ( पूर्व सहायक आयुक्त, जी एस टी
डिपार्टमेंट, छत्तीसगढ शासन )
एंव अध्यापक , पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के
द्वारा मुख्य वक्ता के रूप में उक्त
आभासी गोष्ठी में छत्तीसगढ के
अनाम स्वतंत्रता सेनानियों के
अमूल्य योगदान के बारे में एतिहासिक और अभिलेखों के
तथ्यात्मक अध्ययन के आधार पर सुसंगत विश्लेषण प्रस्तुत किए। छत्तीसगढ के वनवासी
बाहुल्य क्षेत्र के जनजातीय समुदाय के साहसी एंव वीर स्वतंत्रता सेनानियों के शौर्य और संघर्ष की लगभग 200
वर्षों की गाथा को विभिन्न कालखंडों के अनवरत आंदोलनों को रेखांकित किए हैं । भारत में 1857 की क्रांति को
पहली क्रांति माना जाता है ,जबकि छत्तीसगढ के आदिवासी समुदाय के साहसी
लोगों ने सदैव ” जल ,जंगल, जमीन ” के अपने मूलभूत अधिकारों के लिए सामूहिक रूप से अंग्रेजों के विरुद्ध जन
आंदोलन और संघर्ष किया है।

प्रमुख जनजातीय संघर्ष :-
———————————-
1 हलबा संघर्ष – 1774
2 सरगुजा संघर्ष- 1992
3 भोपाल पटनम
संघर्ष – 1795
4 परलकोट संघर्ष- 1824
5 तारापुर संघर्ष- 1842
6 मोरिया संघर्ष- 1842
7 लिंगागिरी संघर्ष- 1856
8 पहाड़ी कोरवा संघर्ष- 1863
9 सोनाखान संघर्ष- 1855
10 कंडेल संघर्ष- 1930

प्रमुख अनाम स्वतंत्रता सेनानी
( जिनका नाम इतिहास में दर्ज नहीं है )

1 अजमेर सिंह – बस्तर
2 गेंद सिंह – अबूझमाड
3 दलगंजन सिंह – बस्तर
4 धुर्वा राव माडिया – लिंगागिरी
5 झाड़ा सिरहा – बस्तर
6 गुंडाधूर- बस्तर
7 नागुर दोरला – बस्तर
8 जगताप नत्थू – नवागांव
10 आनंद गोंड – लभरा गांव

निष्कर्ष
————–
इस प्रकार से कतिपय छत्तीसगढ के अनाम स्वतंत्रता
सेनानियों के ब्रिटिश शासन के
विरूद्ध अनेकानेक अज्ञात और अनाम सेनानियों की विस्तृत एंव वृहद श्रृंखला है । श्री एम.एल. नत्थानी ,मुख्य वक्ता ने अपने सारगर्भित एंव तथ्यात्मक विश्लेषण द्वारा इस
महत्वपूर्ण विषय को आभासी
गोष्ठी के माध्यम से युवा पीढ़ी एंव शोधार्थियों के लिए नवीन जानकारी प्रस्तुत कर नए शोध
अध्ययन के आयामों को भी
रेखांकित किया है । जिससे समाज के प्रबुद्ध जनों के साथ ही जन सामान्य के लिए भी
छत्तीसगढ के अनाम सेनानियों
के अमूल्य योगदान के स्मरण के गौरव को अंतःकरण से आदर-सम्मान के साथ भविष्य में भी प्रस्तुत कर सकेंगें ।

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