चौकसील मेला पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों ने किया बैठक | वन विभाग ने कहा भारी संख्या में आदिवासी एकत्र होने से बड़े पैमाने पर अवैध शिकार की है आशंका |

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रायपुर | छत्तीसगढ़ प्रदेश के उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के बीहड़ जंगलो के मध्य चौकसील पहाड़ स्थित है जो चौकोर लगभग 05 से 06 किलोमीटर क्षेत्रफल मे फैला हुआ है | प्रसिध्द चौकसील देवगढ़ धाम मे प्रतिवर्ष की भांति झांकर पुजारी बैगा सिरहा मिलन सम्मेलन पूजन कार्यक्रम के साथ ही दशहरा मेला का इस वर्ष आयोजन 15 एवं 16 अक्टूबर को आयोजित किया गया है छत्तीसगढ़ प्रदेश भर से झांकर ,पुजारी, बैगा ,सिरहा अपने अपने देवी देवताओं के ध्वज लेकर पहुंचते है और विशाल मेला का आयोजन किया जाता है | इसलिए चौकसील मेला पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों ने रायपुर कार्यालय में बैठक किया है | बैठक में वन विभाग के अधिकारियों ने अपना अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा की चौकसील मेला में भारी संख्या में आदिवासी एकत्र होते है जिस कारण से टाईगर रिजर्व में बड़े पैमाने पर अवैध शिकार किये जाने की आशंका है |  वन विभाग के अधिकारी कुछ ही दिनों में शासन को प्रस्ताव बना कर भेजेंगे की वन्यप्राणी और वनों की सुरक्षा के लिए चौकसील मेला पर तत्काल प्रतिबन्ध लगाया जाए |

चौकसील मेला स्थल पर बिजली और पानी देने से वन विभाग ने किया इनकार  

चौकसील मेला स्थल पर बिजली और पानी देने से वन विभाग ने साफ़ इनकार कर दिया है | प्रसिध्द चौकसील देवगढ़ धाम मे प्रतिवर्ष छत्तीसगढ़ प्रदेश भर से झांकर ,पुजारी, बैगा ,सिरहा अपने अपने देवी देवताओं के ध्वज लेकर पहुंचते है और विशाल मेला का आयोजन किया जाता है और रात्रि में बगैर बिजली के चन्द्रमा की रोशनी में सम्मेलन का आयोजन किया जाता है जिसमे पूरे प्रदेश भर से देवी देवताओ के आगमन के बाद शोभा यात्रा निकाल कर पूरे प्रदेश मे सुख शांति समृध्दि के लिए कामना किया जाता है। इस मेला मे छत्तीसगढ़ के सरगुजा से लेकर बस्तर के अलावा ओड़िसा से भी बड़ी संख्या मे लोग पहुंचते है इसलिए वहा पर बिजली की सुविधा और पानी की सुविधा की आवश्यकता है परतु वन विभाग के अधिकारी चौकसील मेला पर प्रतिबन्ध लगाना चाहते है इसलिए चौकसील मेला स्थल पर बिजली और पानी देने से वन विभाग ने साफ़ इनकार कर दिया है |

सम्पूर्ण छत्तीसगढ प्रदेश के कोनेे कोने से लाखों लोग व देवी देवता बड़ी संख्या में पहुंचते है

गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर के उदंती अभ्यारण्य में स्थित प्राकृतिक खुबसूरती से भरापूरा चौकशील पहाड़ी के उपर गढ़िया माता के दरबार में हर वर्ष दशहरा पुन्नी के अवसर पर मेला का आयोजन किया जाता है जंहा सम्पूर्ण छत्तीसगढ प्रदेश के कोनेे कोने से लाखों लोग व देवी देवता बड़ी संख्या में पहुंचते है। 52 गढ़ बारह पाली के हजारों लोगों चौक सील पहाड़ी प्रमुख धार्मिक आस्था का केन्द्र है। पहाडी के उपर गढहिया माता, गादी मां, माता कुलेश्वरी, बारह पाली के देवी देवताओं की विशेष पूजा अर्चना कर कर क्षेत्र में सुख शांति समृध्दि की कामना करते हैं। साल में एक बार दशहरा पुन्नी के अवसर पर यहा विशाल मेला का आयोजन किया जाता है। इस मेला का खासियत यह है कि यहां बिजली नहीं है। बावजूद इसके हजारों लोगों की भीड़ खुले आसमान के नीेचे पहाडी के उपर चन्द्रमा की दुधिया रौशनी में मेला का आयोजन होता है। यह प्रदेश का पहला ऐसा मेला स्थल होगा जहां बगैर बिजली के मेला का आयोजन किया जाता है

पहाड़ के उपर एक विशाल पत्थर चट्टान चौकोर लगभग 05 से 06 किलोमीटर में फैला है

मैनपुर से लगभग 40 किलोमीटर दुर उदंती अभ्यारण्य के भीतर बम्नीझोला से कच्ची मार्ग व पहाडी वाले मार्ग से होते हुए चौकसील पहुंचा जाता है। चौकसील की खासियत यह है कि यह पहाड़ के उपर एक विशाल पत्थर चट्टान है, जो चौकोर लगभग 05 से 06 किलोमीटर क्षेत्रफल मे फैला हुआ है और पहाडी के उपर इसी पत्थर में मेला का आयोजन किया जाता है, जहां पहुंचने के लिए ग्रामीणों के द्वारा कच्ची सडक का निर्माण किया जाता है, यहां पुरे प्रदेशभर से बडी संख्या में ग्रामीण देवी देवता के साथ पहुंचते हैं। देवी देवताओं का मेला और सौर्य प्रदर्शन को देखने के लिए विशेष भीड़ ईक्कठा होती है जहां आदिवासी विचार गोष्ठी झांकर, बैगा, सिरहा, पुजारी सम्मेलन का विशेष आयोजन किया जाता है।

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