छत्तीसगढ़

सहकारिता मंत्री ने नांदघाट में श्रवण किया रमन के गोठ…

सहकारिता मंत्री ने नांदघाट में श्रवण किया रमन के गोठ कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक भी हुए शामिल बेमेतरा 13 मई...

घंटा घड़ियाल प्रतिदिन बजाकर जगायेंगे जन- जन को- रविशंकर द्विवेदी…

प्रेस विज्ञप्ति घंटा घड़ियाल प्रतिदिन बजाकर जगाएंगे जन-जन को - रविशंकर द्विवेदी । सुदीप्तो चटर्जी "खबरीलाल"::- काशी के तीर्थ पुरोहितों...

सुख – समृद्धि बाहर नही- अपने अंदर व्याप्त है, खोजे उसे और सुख – समृद्ध रहे…

सुख समृद्धि बाहर नहीं- अपने अन्दर व्याप्त है; खोजें, उसे और सुख-समृद्ध रहें - हृदयेष   पीएसएसएम (पिरामिड स्पिरिच्युअल सोसायटीज...

मंत्री श्री केदार कश्यप ने की इंडोर स्टेडियम का किया लोकार्पण…

  *मंत्री श्री केदार कश्यप ने इंडोर स्टेडियम का किया लोकार्पण* बस्तर की संस्कृति को प्रदर्शित करते दृश्यों की मंत्री...

मुनियादी नही होने के कारण बहुत लोग स्मार्ट कार्ड से वंचित…

देवरबीजा में मुनियादी नही होने से कई लोगों का स्मार्ट कार्ड नही बना ------ 1=पंचायत सचिव की घोर लापरवाही के...

जिले में विकास होता तो भाजपा जनदर्शन बन्द नही होता – ओस्तवाल

  जिले में विकास होता तो भाजपा  जनदर्शन बंद नहीं होता  - ओस्तवाल राजनांदगांव। जिला कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष...

राष्ट्रीय योग महोत्सव 18 से 20 मई आयोजित:- संजय अग्रवाल…०

राष्ट्रीय योग महोत्सव 18 से 20 मई तक आयेजित : संजय अग्रवाल छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष तथा भारत स्वाभिमान...

बेमेतरा के पिकरी तालाब में किया गया साफ- सफाई…

बेमेतरा पिकरी तालाब में किये साफ सफाई ---- बेमेतरा =महिला सामाजिक संस्था लायनेस क्लब बेमेतरा द्वारा नि:शुल्क चलाए जा रहे...

शिक्षाकर्मी 26 मई को मनाएंगे संविलियन संकल्प दिवस…

शिक्षाकर्मी 26 मई को मनाएंगे संविलियन संकल्प दिवस। सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में होगा सभा का आयोजन संविलियन के लिए...

शिक्षाकर्मी 26 मई को मनाएंगे संविलियन संकल्प दिवस…

शिक्षाकर्मी 26 मई को मनाएंगे संविलियन संकल्प दिवस। - सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में होगा सभा का आयोजन संविलियन के...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।