छत्तीसगढ़

नहीं सुधरी बिजली व्यवस्था, भूख हड़ताल पर बैठे लोग

कोरबा। शहर सहित बांकीमोंगरा जोन की लचर विद्युत व्यवस्था को लेकर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। तुलसीनगर सब स्टेशन...

विद्युत विभाग ने की ग्राम भोलापुर में 135 उपभोक्ताओं के स्पाॅट बिलों की क्रास चेकिंग

राजनांदगांव। विकासखण्ड छुरिया के ग्राम भोलापुर में छत्तीसगढ़ स्टेट पाॅवर डिस्ट्रीब्यूषन कंपनी द्वारा संघन अभियान चलाकर यहां के घरेलु व...

गृह मंत्री साहू मंगलवार को गरियाबंद जिले के दौरे में

रायपुर। गृह तथा लोक निर्माण मंत्री और गरियाबंद जिले के प्रभारी मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू 24 सितम्बर मंगलवार को गरियाबंद...

हाई मास्ट लाईट की रिपेरिंग के दौरान रिंग टूटने से जोन टोप्पो की मौत

मुख्यमंत्री ने मृतक के परिजनों को 4 लाख रूपए की आर्थिक सहायता की घोषणा कीजशपुर।जशपुर जिले के कुनकुरी तहसील में...

मुख्यमंत्री ने प्रोफेसर डॉ. प्रभुदत्त खेड़ा के निधन पर दुःख प्रकट किया

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अचानकमार के जंगलों में बैगा आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए लंबे समय से कार्य...

एक शिक्षिका की दबंगई. आखिर क्यों ग्रामीणों ने खोला शिक्षिका के खिलाफ मोर्चा.. पढ़िए पूरी ख़बर..

बालोद…. जिले में बाल सँरक्षण एक्ट का हो रहा है. खुलेआम उलंघन सियनमरा में कार्यरत शिक्षिका रेणू जांगड़े द्वारा अपने...

नया राशन कार्ड मात्र 100.. शासन प्रशासन को ठेंगा दिखाता ग्राम पंचायत घीना. मुख्यमंत्री के आदेश का उल्लंघन.

बालोद.. जिले में शासन प्रशासन की अनदेखी आम हो गया है. एक ओर राज्य सरकार आदेश करते हैं कि. कोई...

वरिष्ठ पत्रकार व्यास पाठक बने आई. एफ. डब्लू. जे . के नेशनल काउन्सलर….

छत्तीसगढ़ पत्रकार जगत के लिए यह गर्व का विषय है की प्रदेश में निर्भीक पत्रकारिता की पहचान बन चुके वरिष्ठ...

दुर्गा विहार कल्याण समिति के सदस्य महापौर से मिले सौपा ज्ञापन …..

आज दुर्गा विहार कल्याण समिति के सदस्यो तत्वधान में श्रीमान महापौर श्री प्रमोद दुबे जी से 15 सदस्य प्रतिनिधि मंडल...

संजय नेताम कुल्हाड़ीघाट में आयोजित राशन कार्ड वितरण कार्यक्रम में हुए शामिल – तीव कुमार सोनी

संजय नेताम कुल्हाड़ीघाट में आयोजित राशन कार्ड वितरण कार्यक्रम में हुए शामिल - तीव कुमार सोनी मैनपुर । देश में...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।