छत्तीसगढ़

ग्राम मजगांव (सलधा) की बाहरवीं की छात्रा ने 94 अंक प्राप्त कर जिले में अव्वल…

ग्राम मजगांव(सलधा) की छात्रा बारहवीं में 94 प्रतिशत अंक प्राप्त कर जिले में प्रथम ------------ 1=साफ्ट इंजीनियर बनना चाहती है...

ग्राम पंचायत भेंडरवानी में दूषित पानी पीने सर एक ही घर के 8 बीमार…

ग्राम पंचायत भेंडरवानी में दूषित पानी पीने से 8 लोग बिमार एक ही घर परिवार के 1=साजा जनपद पंचायत सदस्य...

नाद योग- ध्वनि स्पंदन से जुड़ी ध्यान परम्परा है, इसका लाभ मानव शरीर की मिलता है…

नाद योग- ध्वनि स्पंदन से जुड़ी ध्यान परम्परा है , इसका लाभ मानव शरीर को मिलता है।   विगत दिन...

भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम का समाज कल्याण विभाग ने किया सम्मान…

    भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम का समाज कल्याण विभाग ने किया सम्मान। कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ द्वारा आज यहाँ राष्ट्रीय...

ग्राम नवागांव, ढाबा, हरदी में मनरेगा कार्य की आकस्मिक निरीक्षण:- श्री मति कविता साहू जिला पंचयात अध्यक्ष…

*ग्राम नवागांव, ढाबा, हरदी में की मनरेगा कार्य की आकस्मिक निरीक्षणः- श्रीमती कविता साहू जि.प.अ.* *मनरेगा कार्य में ग्रामीण मजदूर...

टिकट चेकिंग अभियान में बिलासपुर मंडल ने बनाया रिकार्ड…

  टिकट चेकिंग अभियान में बिलासपुर मंडल ने बनाया रिकार्ड... बिलासपुर । अब तक की प्रतिदिन की सर्वाधिक आय दर्ज...

मंदिर बचाओ आंदोलनम का उत्तराखंड के बुद्धिजीवियों ने दिया समर्थन…

  मंदिर बचाओ आन्दोलनम का उत्तराखंड के बुद्धिजीवियों ने दिया समर्थन। काशी में बन रहे विश्वनाथ कॉरिडोर के विरोध मे...

पंजीयन एवं मुद्रांक शुल्क से 25 करोड़ 23 लाख की राजस्व प्राप्ति…

पंजीयन एवं मुद्रांक शुल्क से 25 करोड़ 23 लाख रूपए की राजस्व प्राप्ति बेमेतरा 09 मई 2018:- कलेक्टर श्री महादेव...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।