नाद योग- ध्वनि स्पंदन से जुड़ी ध्यान परम्परा है, इसका लाभ मानव शरीर की मिलता है…
नाद योग- ध्वनि स्पंदन से जुड़ी ध्यान परम्परा है , इसका लाभ मानव शरीर को मिलता है।
विगत दिन पिरामिड स्पिरिच्युअल सोसायटीज मूवमेन्ट की सहयोगी संस्था छत्तीसगढ़ पिरामिड स्पिरिच्युअल सोसायटीज मूवमेन्ट के द्वारा कचहरी चौक स्थित ‘‘कैलाष ध्यान केन्द्र’’ में मुम्बई के मषहूर नाद एवम् कर्मयोगी मास्टर चिन्तन दलाल द्वारा ‘‘नाद योग ध्यान’’ विशय कार्यषाला का संचालन किया गया। मास्टर चिन्तन दलाल अभी छत्तीसगढ़ प्रवास पर हैं और वे नादयोग के द्वारा लोगों में ध्यान का जागरूकता बढ़ाने में कार्यरत हैं।
इस कार्यषाला में आपने लगभग एक सौ से अधिक ध्यानियों को आनापानसति ध्यान जो भगवान बुद्ध के द्वारा प्रचलित किया गया है, कराया और ध्यान का महत्व बताया और अपने चारों ओर व्याप्त ब्रह्यनाद की ध्वनि का बोध कांस्यपात्र पर स्पर्ष करते हुए ध्वनि निकालकर कराया। उन्होंने बताया प्रत्येक मनुश्य का उद्देष्य तनावमुक्त होकर जीवन की सम्पूर्ण सुख और खुषी पाना होता है।
और जीवन को तनावमुक्त बनाकर जीवन के सम्पूर्ण सुख व आनन्द पाने का सबसे उपयोगी तरीका है ध्यान का नियमित कम से कम 20 मिनट का अभ्यास करना। उन्होंने बताया कि ध्यान स्वयं से बात करने की विधि है। उन्होंने समुद्र की लहरों का उदाहरण देते हुए बताया कि जिस तरह समुद्र की लहरे धीमे-धीमे तट की ओर 1-2-3 के क्रम में आती है और तेजी से वापस होती हैं उसी तरह हमें अपने ष्वासों की गति को अन्दर और बाहर करते हुए निरीक्षण करना चाहिए – यही ध्यान की क्रिया है। ष्वासों के प्रवाह के साथ बने रहकर हमें पृश्टभूमि में बने हुए नाद अर्थात् आवाज को सुनने का प्रयास करना चाहिए उसमें एकमय होने की कोषिष करना चाहिए।
केवल इतना ही ध्यान का अभ्यास व्यक्ति के स्वस्थ्य बने रहने के लिए, सकारात्मक और प्रसन्न बने रहने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने बताया ध्वनियों में वह षक्ति होती है जो हमारे षरीर के नाड़ी तंत्र के साथ जुड़कर उसे झंकृत करती है और उसका प्रभाव हमारे षरीर के मानसिक, बौद्धिक और भावनात्मक धरातल पर होता है। यदि इस ध्यान का नियमित कम से कम 20 मिनट सुबह षाम अभ्यास किया जाए तो उसका लाभ षरीर को मिलता है। षरीर के विकास और षांति के लिए ऐसे ध्यान का नियमित किया जाना आवष्यक होता है। उन्होंने ध्यान के पष्चात् लोगों से उनकी समस्याओं और जिज्ञासाओं के सम्बन्ध में पूछा और उन प्रष्नों का समाधान भी सुझाया।
श्री दलाल की अपने कार्यषाला के माध्यमों से कोषिष होती है कि वे लोगों में ध्यान के प्रति रूझान पैदा करें विषेशकर नाद योग को वे समझें जिससे उनके चक्र और नाड़ी तंत्र जागृत हो सकें और वे स्वस्थ व निरोग जीवन व्यतीत कर सकें। आप नाद योग ध्यान के माध्यम से रक्तचाप, मधुमेह, स्पान्डेलाईटिस, आर्थोराइटिस, दर्द एवं खिंचवा, डर, जुगुप्सा उन्माद आदि का उपचार नादतंत्र के माध्यम से करते हैं। जिसका माध्यम कांस्यपात्रों पर स्पर्ष करते हुए सुमधुर ध्वनियॉं निकाल कर व्यक्ति के अनाहत तंत्र को जागृत करना होता है।
सुदीप्तो चटर्जी…