छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी का पेट्रोल, डीजल के दाम को लेकर प्रदर्शन…

छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी के द्वार आज पेट्रोल डीजल के दाम में वृद्धि व् पकिस्तान से शक्कर मंगाने के विरोध...

पेट्रोल, डीजल की लगातार हो रही वृद्धि को लेकर “नगरी” में कांग्रेस का उग्र प्रदर्शन…

नगरी सिहवा :- देश मे लगातार पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी की जा रही है। जिसके विरोध में *ब्लॉक कांग्रेस कमेटी...

अवैध रेत खनन व परिवहन करते ट्रेक्टर को खनिज विभाग द्वारा पकड़ा गया…

बेमेतरा देवकर(डगनिया) से अवैध रेत भरकर ला रहे टैक्टर को देवकर में खनिज विभाग के द्वारा पकडे ----- देवकर चौकी...

सोनारी का काम , लोहारो के हाथ मे- अविमुक्तेश्वरानंद

सोनारी का काम लोहारों के हाथ में-अविमुक्तेश्वरानन्दः :- सोनारी अर्थात् सोने का कार्य । जिसे सोनार भाई करते हैं ।...

वन विभाग के ऑपरेशन गजराज पर विधायक विमल चोपड़ा ने लागये गंभीर आरोप…

महासमुंद-- वन विभाग के आपरेशन गजराज पर महासमुंद के निर्दलीय विधायक डा विमल चोपडा ने लगाये गंभीर आरोप ,विधायक ने...

अधिकारी – कर्मचारियों ने आतंकवाद विरोधी दिवस की ली शपथ…

अधिकारी-कर्मचारियों ने आतंकवाद विरोधी दिवस की शपथ ली बेमेतरा 21 मई 2018:- संयुक्त जिला कार्यालय भवन में आज सोमवार को...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।