बांस की खेती से भी किसानों को हो सकती है दोगुनी आमदनी:- मंत्री महेश गागड़ा
वन मंत्री महेश गागड़ा बोले- बांस की खेती से भी किसानों को हो सकती है दोगुनी आमदनी, तकनीकी हस्तांतरण के लिए दो संस्थाओं के साथ एमओयू
वन मंत्री महेश गागड़ा बोले- बांस की खेती से भी किसानों को हो सकती है दोगुनी आमदनी, तकनीकी हस्तांतरण के लिए दो संस्थाओं के साथ एमओयू…
रायपुर। छत्तीसगढ़ के वन मंत्री महेश गागड़ा ने कहा है कि बांस की खेती से भी किसानों की आमदनी दोगुनी हो सकती है। लोगों के जीवन में बांस के विभिन्न उपयोग और इसके आर्थिक पहलुओं को ध्यान में रखकर केन्द्र सरकार ने इसके परिवहन को ट्रांजिट पास (टीपी) की अनिवार्यता से मुक्त कर दिया है। किसान अब अपनी मंशा के अनुरूप बगैर कोई रोक-टोक के कहीं पर भी इसे ले जाकर बेच कर सकते हैं। मंत्री गागड़ा आज यहां नया रायपुर स्थित अरण्य भवन में बांस आधारित उद्योगों की संभावनाएं विषय पर आयोजत दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएसआईडीसी के अध्यक्ष छगनलाल मुंदड़ा ने की।
वन मंत्री महेश गागड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर 2022 तक देश के किसानों की आमदनी दो-गुनी करने में बांस की खेती का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। राज्य सरकार के वन विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ किसानों को इसकी खेती से लेकर बांस आधारित सामग्री तैयार करने और बाजार उपलब्ध कराने तक हर प्रकार से सहयोग दिया जाएगा। संगोष्ठी के समापन अवसर पर वन मंत्री महेश गागड़ा की मौजूदगी में राज्य के बांस शिल्पकारों और यहां के किसानों के क्षमता विकास और तकनीकी हस्तांतरण के लिए राष्ट्रीय स्तर की दो संस्थाओं के साथ एमओयू भी संपन्न हुआ।
इनमें राज्य के बांस शिल्पकारों के क्षमता विकास के लिए केन्द्र सरकार के कपड़ा मंत्रालय से संबद्ध संस्था बम्बू और केन डेव्हलपमेन्ट संस्थान त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ बांस मिशन तथा दूसरा एमओयू एफएमसी और छत्तीसगढ़ बांस मिशन के बीच हुआ। एफएमसी संस्था राज्य के बांस शिल्पकारों के कौशल विकास और उनके उत्पाद की डिजायनिंग और मार्केटिंग में मदद करेगी।
समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर छत्तीसगढ़ बांस मिशन की ओर से इसके संचालक अनिता नंदी और केन्द्र सरकार के कपड़ा मंत्रालय के हस्तशिल्प विकास विभाग के आयुक्त रत्नेश कुमार झा और दूसरे एमओयू पर एफएमसी संस्था के प्रमुख तामल सरकार ने हस्ताक्षर किए। छत्तीसगढ़ सरकार के वन विभाग के अपर मुख्य सचिव सी.के.खेतान और प्रधान मुख्य वन संरक्षक आर.के.सिंह भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सीएसआईडीसी के अध्यक्ष छगनलाल मूंदड़ा ने कहा कि गरीबी दूर करने का बांस एक महत्वपूर्ण जरिया है। आदमी के जन्म से लेकर मरण तक इसका उपयोग होता है। उन्होंने कहा कि किसान इसे अपनी खाली पड़ी जमीन से लेकर खेत की मेड़ पर भी उगा सकते हैं। अपर मुख्य सचिव खेतान ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बांस के विकास की अपार संभावनाएं है।
उन्होंने कहा कि राज्य के वनक्षेत्र का 18 प्रतिशत में बांस का विस्तार है। बांस संबंधी हर तरह की गतिविधि और निवेश के लिए राज्य सरकार नीतिगत सहयोग प्रदान करेगी। ACS सीके खेतान ने कहा कि इस संगोष्ठी में मिले सुझावों को अमल में लाने के लिए कार्य-योजना तैयार की जानी चाहिए। पीसीसीएफ RK सिंह ने कहा कि बांस के क्षेत्र में संभावनाओं के साथ-साथ चुनौतियां भी हैं। पड़ोसी चीन के साथ बांस के संबंध में हमारी कड़ी प्रतिस्पर्धा है। लेकिन इसमें हम जरूर कुछ समय के बाद आगे हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि हमारी तमाम कोशिशों को आखिरी लाभ हमारे गांव और किसानों को मिलना चाहिए।
संगोष्ठी में दो दिनों तक बांस के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। बैंगलुरू से आए विशेषज्ञ डॉ. एन भारती से बांस से ऊर्जा के उत्पादन के बारे में बताया। उन्होंने कहा बांस से आज बिजली, गैस, एथेनॉल, चारकोल उत्पादन किए जा रहे हैं। इनका अब व्यावहारिक उपयोग भी होना शुरू हो गया है। नीलम मंजूनाथ ने अपनी प्रस्तुतिकरण में बांस के भवन बनाने में उपयोग के बारे में बताया। बांस के क्लोनल नर्सरी और बांस की खेती के बारे में डॉ. आर.एन.पाण्डेय ने विस्तृत तौर से प्रकाश डाला। इसके अलावा विशेषज्ञों ने अलग-अलग समूह बनाकर गहराई तक विचार-मंथन किए। स्वागत भाषण एपीसीसीएफ एसएस बजाज और आभार प्रदर्शन छत्तीसगढ़ बांस मिशन की संचालक अनिता नंदी ने किया।