शिवशंकर सोनपिपरे

प्रतिष्ठित ट्रांसपोर्टर व समाजसेवी वीरा सिंह की पार्थिव काया पंचतत्व में लीन

हजारों लोगों ने नम आंँखो से दी अंतिम बिदाईभिलाई। छग के सबसे बड़े ट्रांसपोर्टर दलबीर सिंह उर्फ वीरा सिंह की...

सार्थक स्कूल के बच्चों ने गांधी और शास्त्री का मनाया जन्मदिवस

धमतरी। मानसिक दिव्यांग बच्चों के प्रशिक्षण केन्द्र सार्थक स्कूल में महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिन...

मुख्यमंत्री श्री बघेल का गौरव ग्राम कण्डेल पहुँचे

धमतरी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का शुक्रवार कोगौरव ग्राम कण्डेल...

युवा नेता संजय नेताम ग्राम पंचायत मोहदा में आयोजित राशन कार्ड वितरण कार्यक्रम में हुए शामिल – तीव कुमार सोनी

युवा नेता संजय नेताम ग्राम पंचायत मोहदा में राशन कार्ड वितरण कार्यक्रम में हुए शामिल - तीव कुमार सोनी गरियाबंद...

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम का 4 से 10 अक्टूबर तक गांधी विचार पदयात्रा का कार्यक्रम…..

11 अक्टूबर से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम चित्रकोट विधानसभा चुनाव में प्रचार अभियान में भाग लेंगे रायपुर/03 अक्टूबर 2019।...

नवरात्र में माता रानी ने दिखाया चमत्कार , पहाड़ से फूटी जलधारा

पूजा अर्चना में जुटे ग्रामीण, बना आस्था का केन्द्रकोरबा। नवरात्रि पर्व को लेकर लोग माता की भक्ति में डूबे हुए...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।