प्लास्टिक फ्री कोरबा अभियान का दिखने लगा असर

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दुकानों से गायब हो रही प्लास्टिक, कागज के ठोगे का हो रहा इस्तेमाल
कोरबा। शहर के बड़े होटल से लेकर चाय गुमटी तक में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग लगभग बंद सा हो गया है। शहर के बड़े-बड़े संस्थानों में भी ग्राहकों को कागज के थैले में सामान दिया जा रहा है। छोटे चाय ठेले में भी प्लास्टिक डिस्पोजल की बजाय कागज के डिस्पोजल में चाय दिया जा रहा है। इसके अलावा नाश्ता के छोटे-मोटे दुकान संचालक भी सिंगल यूज प्लास्टिक से तौबा कर रहे हैं। दुकानदारों की माने तो अगर कार्रवाई होती है तो जितनी कमाई नहीं होगी उससे ज्यादा का जुर्माना पड़ जाएगा। इसलिए हमने पहले ही प्लास्टिक को दुकान से हटा दिया है। पैकिंग कागज के ठोंगा में की जा रही है। नगर पालिक निगम भी प्लास्टिक फ्री कोरबा अभियान का सकारात्मक असर नजर आने लगा है।
प्लास्टिक मुक्त शहर बनाने के लिए चलाए जा रहे जागरूकता अभियान और कार्रवाई के डर से मार्केट से प्लास्टिक कैरी बैग गायब होने लगा है। बड़े प्रतिष्ठानों से लेकर ठेले, खोमचे तक में दुकानदार प्लास्टिक नहीं रख रहे है। किराना दुकानदारों ने कागज के ठोंगे में सामान तौलकर देना ही मुनासिब समझा है। कपड़ा, स्टेशनरी और अन्य दुकानों में पेपर बैग में दुकानदारों द्वारा ग्राहकों को सामान दिया जा रहा है। सब्जी मंडी में भी प्लास्टिक कैरी बैग नहीं दिख रहा है। ग्राहक झोला लेकर बाजार पहुंचे है।
किराना दुकान संचालकों ने प्लास्टिक का विकल्प पेपर बैग के रूप में पहले ही खोज लिया था। ग्राहकों को तौलकर देने वाला खुला सामान कागज के बैग में दिया गया। व्यवसायियों ने बताया कि जो चीजें कंपनी से प्लास्टिक में पैक होकर आ रही है सिर्फ वहीं प्लास्टिक दुकान में है। प्लास्टिक डिस्पोजेबल व कप की बिक्री बंद की जा रही है।
दूध के पैकेट बिक रहे
गर्मी नहीं होने के कारण शहर में प्लास्टिक पानी पाउच का चलन कम है। गर्मी के दिनों में भी यहां प्लास्टिक पानी पाउच की बिक्री नहीं होगी ऐसा माना जा रहा है। पैकेट बंद दूध की बिक्री चल रही है। डेयरी संचालकों की माने तो एसडीपीए पर अभी बैन नहीं हुआ है।
कुछ लोगों पर असर नहीं
प्रतिबंध का कुछ लोगों पर असर नहीं है। वे प्लास्टिक कैरीबैग के बदले अतिरिक्त रुपए देने में भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। सब्जी, फल से लेकर परचून आदि दुकानों पर सामान ले रहे लोगों से पॉलीथिन के लिए 2 से 5 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। दुकानदारों की दलील है कि पॉलीथिन महंगा हो गया है, कम ही मिलता है, चोरी छिपे लाते हैं। जो ग्राहक थैले लेकर नहीं आते उन्हें मजबूरी में पॉलीथिन देते हैं, इसके एक्सट्रा पैसे लेते हैं।
लोगों में जागरुकता जरूरी
भारत के स्वच्छ शहरों में एक इंदौर के नगर निगम ने बर्तन भंडार शुरू कर दिए हैं। निगम किराए पर लोगों को बर्तन उपलब्ध कराता है। इसकी तर्ज पर कोरबा में प्रमुख समाज और संगठन शादी या बड़ी-छोटी पार्टियों, भंडारों में प्लास्टिक डिस्पोजेबल्स का उपयोग बंद कराने पहल कर सकते हैं।

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