लोगो को पसंद आ रहा है छत्तीसगढ़ी व्यंजन….

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रायपुर शहर में राज्य के पारंपरिक व्यंजनों से रूबरू कराने सिविल लाइंस स्थित संस्कृति विभाग परिसर में गढ़कलेवा शुरू किया गया है।

गढ़ कलेवा कैसे पहुंचे :-
गढ़कलेवा रायपुर सिटी के ह्रदय स्थल घड़ी चौक से कुछ दूर सिविल रोड में महंत घासी दास संग्रहालय परिसर में स्थित है।

इस जलपानगृह में छत्तीसगढ़ की संस्कृति में रचे-बसे ठेठरी, खुरमी, चीला, मुठिया, अंगाकर रोटी, बफौरी, चउसेला के साथ कई स्वादिष्ट छत्तीसगढ़ी व्यंजन चख सकते हैं। रोज यहां सैकड़ों मेहमानों के लिए खास छत्तीसगढ़ी व्यंजन तैयार किए जाते हैं।

मकसद राज्य की खान-पान शैली को संरक्षित करना है। छत्तीसगढ़ी परिवेश उपलब्ध कराने के लिए परिसर में लकड़ियों की आकर्षक कलाकृतियां भी बनाई गई हैं और दीवारों की भित्तिचित्र के माध्यम से सजावट की गई है।

गढ़ कलेवा में जलपान में शामिल चाउर पिसान के चीला, बेसन के चीला, फरा, मुठिया, धुसका रोटी, वेज मिक्स धुसका, अंगाकर रोटी, पातर रोटी, बफौरी सादा और मिक्स, चउंसेला आदि परोसा जा रहा है। इसके अलावा मिठाइयों में बबरा, देहरउरी, मालपुआ, दूधफरा, अईरसा, ठेठरी, खुरमी, बिडि़या, पिडि़या, पपची, पूरन लाडू, करी लाडू, बूंदी लाडू, पर्रा लाडू, खाजा, कोचई पपची आदि भी परोसा जा रहा है।

गढ़ कलेवा का एक अति महत्वपूर्ण पक्ष इसका परिसर है, जिसे ठेठ छत्तीसगढ़ी ग्रामीण परिवेश के रूप में तैयार किया गया है। इसकी साज-सज्जा और जनसुविधाएं सभी कुछ छत्तीसगढ़ ग्रामीण जीवन का आनंद उपलब्ध कराने की क्षमता रखते हैं.

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