छत्तीसगढ़

संविधान दिवस पर हुआ व्याख्यान. राष्टीय सेवा योजना के युवाओं ने की पहल..

बालोद. गुरूर - मां बहादुर कलारिन कला एवं विज्ञान महाविद्यालय गुरूर, जिला-बालोद (छ.ग.) में दिनांक 26/11/2020को महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा...

एक दिसम्बर से धान खरीदी को देखते हुए , रखी गयी बैठक

उरेन्द्र साहू जिला संवाददाता गरियाबंद / फिंगेश्वर | छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 1 दिसम्बर से धान खरीदी को ध्यान में रखते...

भूपेश सरकार के जनहितैषी कार्यो की प्रधानमंत्री की प्रशंसा से और प्रदेश भाजपा में पसरा सन्नाटा- इतेश सोनी गरियाबंद

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विरोध करने वाले भाजपा नेताओ को आईना दिखाया प्रधानमंत्री मोदी ने भूपेश सरकार की प्रशंसा सुनकर...

27 नवंबर को धान उपार्जन केन्द्र की मांग,नही तो गौरघाट में चक्काजाम की चेतावनी

उरेन्द्र साहू जिला संवाददाता : - गरियाबंद / गौरघाट | सैकड़ो किसानों ने बैठक कर लिया फैसला कल करेंगे चक्काजाम...

रबी फसल के लिए पानी की मांग को लेकर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

उरेन्द्र साहू जिला संवाददाता : - गरियाबंद / राजिम | जिला पंचायत सदस्य एवं राजिम कोऑपरेटिव सोसायटी के अध्यक्ष चंद्रशेखर...

भारतीय संविधान का पूजा अर्चना कर बाबा साहब अम्बेडकर की छायाप्रति पर माल्यार्पण किया

उरेन्द्र साहू जिला संवाददाता : - गरियाबंद |पाण्डुका क्षेत्र के ग्राम गड़ाघाट में 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने...

लोक आस्था सेवा संस्थान द्वारा ,चाइल्ड लाइन से दोस्ती अभियान चलाया गया

उरेन्द्र साहू जिला संवाददाता : - गरियाबंद | परियोजना भारत सरकार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय एवं चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन...

धान खपाने गरियाबंद लाया , प्रशासन को रोकने में बड़ी मुश्किलो का करना पड़ रहा सामना

उरेन्द्र साहू जिला संवाददाता :- गरियाबंद/ गरियाबंद । जिले में ओडिसा का धान खपाने से रोकना जिला प्रशासन के लिए...

भुपेश सरकार के नेतृत्व में विकास सीढ़ी चढ़ रहा छत्तीसगढ़ – शिला ठाकुर

समाचार एव विज्ञान के लिए सम्पर्क करें । उरेन्द्र साहू जिला संवाददाता : – गरियाबंद / मैनपुर | मैनपुर विकासखण्ड...

You may have missed

” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।