छत्तीसगढ़

रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर फलदार छायादार वृक्षरोपण कार्यक्रम – ग्राम पंचायत लोहरसी

संवाददाता - उरेंद्र कुमार साहू लोहरसी फिंगेश्वर | ग्राम पंचायत लोहरसी में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विधालय स्कूल में वृक्षारोपण किया...

भाई बहन का त्यौहार रक्षाबंधन के पर्व पर प्रताप सिंह सार्वा जी ने बहन के द्वारा भाई के हाथ में बंधे जाने राखी का महत्व बताया

बालोद–राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक एवं इंडिया अंगेस्ट कोरोना के तहत चल रही ऑनलाइन क्लास के राज्य सह वालेंटियर प्रताप...

रक्षाबंधन पर बहन का भाई से एक सवाल , क्या कोरोना हमसे ज्यादा शक्तिशाली है और हम उसको नहीं हरा सकते ,

संवाददाता - उरेंद्र कुमार साहू लोहरसी फिंगेश्वर | आज रक्षाबंधन है इस दिन बहन भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर...

फिक्की राष्ट्रीय पर्यटन ई-कॉन्क्लेव में बिश्वनाथ ने छत्तीसगढ़ और ओडिशा पर सवाल साझा किया।

आईआईटीटीएम के सहयोग से फिक्की द्वारा "व्हाट नेक्स्ट इन ट्रैवल एंड हॉस्पिटैलिटी" पर पर्यटन ई-कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया।थीम स्टेट...

रायपुर प्रेस क्लब अध्यक्ष दामु आम्बेडारे ने प्रदेश वासियों,भाई-बहनो एवं पत्रकारों को राखी पर्व की बधाई दी ।

भाई-बहनों के प्रेम का प्रतिक पर्व ।रायपुर/रायपुर प्रेस क्लब अध्यक्ष दामु आम्बेडारे ने रक्षाबंधन के पावन अवसर पर प्रदेश वासियों...

प्रेमचंद जयंती की पूर्व संध्या वक्ता मंच की डिजिटल काव्य गोष्ठी हुई

रायपुर।प्रख्यात प्रगतिशील साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती की पूर्व संध्या आज 30 जुलाई को वक्ता मंच द्वारा गूगल मीट के...

गणेश उत्सव को लेकर प्रशासन के तुगलकी गाइडलाइन से गणेश समिति वाले नाराज

संवाददाता - उरेंद्र कुमार साहू लोहरसी गरियाबंद | नगर पालिका अध्यक्ष ने विरोध प्रकट कर की संसोधन की मांग कोरोना...

प्रथम वर्ष में प्रवेश हेतु ऑनलाइन आवेदन प्रारंभ

बालोद–शासकीय महाविद्यालय गुरुर में स्नातक प्रथम वर्ष ( बी.ए/बी.एस.सी/ बी कॉम ) में प्रवेश के इच्छुक छात्र छात्राएं दिनांक 01.08.2020...

You may have missed

” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।