रक्षाबंधन पर बहन का भाई से एक सवाल , क्या कोरोना हमसे ज्यादा शक्तिशाली है और हम उसको नहीं हरा सकते ,

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संवाददाता – उरेंद्र कुमार साहू लोहरसी

फिंगेश्वर | आज रक्षाबंधन है इस दिन बहन भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है , और बदले में भाई ताउम्र बहन की रक्षा करने का वचन देता है , की भाई बहन का रिस्ता बहुंत प्रगड़ हो जाता है , लेकिन आज बदलते हालात में कुछ बहने अपने भाइयो की कलाई पर राखी नहीं बांध पा रही है , जाहिर से बात है की भाई भी सुनी कलाइयों को सहन नहीं कर पा रहे है , खास कर एक दूसरे से दूर रहने वाले भाई बहन आज इस स्थिति का सबसे ज्यादा सामना कर रहे है इसकी वजह है , विश्व में फैली कोरोना जैसी माहमारी जो आज लोगो के सामने एक बड़ी चुनौती बन कर खाड़ी है , आमिर ,गरीब बड़ा, छोटा सभी राष्ट्र और इंसान इस महामारी के आगे बौने नजर आ रहे है , ऐसे में कलाई पर राखी बांधने को तरस रही एक बहन का भाई से सवाल है की कोरोना इतना शक्तिशाली है की हम उसका सामना नहीं कर सकते और क्या हम उसे नहीं हरा सकते , एक बहन का लाखो भाइयो से किया ये सवाल बिलकुल वाजिब है जिसका जवाब हर भाई को आज नहीं तो कल देना ही पड़ेगा और लगातार मौते हो रही है उस दौर में हर भाई को बहन के इस सवाल का जवाब तो ढूंढ़ना ही पड़ेगा |
देखा जाये तो कोरोना अभी आम जनता की बीमारी नहीं है , बल्कि एक सरकारी बीमारी है सम्पूर्ण भारत देश की बात की जाये तो अब तक केवल सरकार ही इसके लिए हायतोबा मचाती नगर आ रही है , फिर चाहे बात बीमारी की हो या रोकथाम की बात हो या फिर बीमारी की इलाज की हो , फिर हल सरकार की लोगो को इस बीमारी से बचने के लिए अपने स्तर पर प्रयास करती नजर आ रही है , आम जनता की भूमिका इसमें नाममात्र की ही नजर आती है , हालत ऐसे है की सरकार द्वारा बनाये गए दो नियमो ,, जैसे दो गज की दुरी और मुँह में मास्क का पालन भी आम जनता ईमानदारी से करती नगर नहीं आ रही है , सरकार के डंडे के डर से भले ही चेहरे पर मास्क लगा हो या फिर सोशल फिजिकल डिस्टेंशिंग का पालन हुआ हो मगर अपना कर्तव्य और जिम्मेदारी समझकर इन निय

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