ओंकारेश्वर मंदिर पलारी में दिन भर लगी रही भक्तों की भीड़. 13 वी. 14 वी सदी मे बनाया गया है. मंदिर. एतिहासिक है मंदिर का महत्व.

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बालोद जिले के गुरूर तहसील क्षेत्रः के ग्राम पलारी जहां स्थित है. भगवान ओंकारेश्वर महादेव. जिनके दर्शन मात्र से ही मनोकामना पूरी हो जाती है.
मंदिर बहुत ही प्राचीन है. कहा जाता है कि. पांडव वनवास काल में यहां पर लारी बनाकर रहा करते थे. जिसके कारण यह गांव का नाम पलारी पड़ा. वनवास काल के दौरान. पांडवों को ढूंढते कौरव भी यहाँ आए थे. जो 3 किलो मीटर दूर कंवर मे रुके हुए थे. प्राचीन काल में कंवर का नाम कौरवगढ हुआ करते थे. पुरातत्व विभाग की माने तो. कई रहस्य छुपे हुए हैं इस गांवों में. आज भी मंदिर के गर्भगृह मे पांडवों और कुंती के साथ द्रोपदी का नाम अंकित है. मंदिर के पुजारी अमित कुमार झा के अनुसार मंदिर प्राचीन होने साथ ही. भगवान ओंकारेश्वर महादेव का दर्शन लाभ लेने से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. अभी वर्तमान में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के देख रेख मे मंदिर को रखा गया है निकट भविष्य में कई जगहों पर खुदाई होने की संभावना है. और भी कई रहस्य उजागर होने की संभावना है. बालोद से के. नागे की रिपोर्ट

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