हर वर्ष धान कटाई के बाद ग्रामीण क्षेत्रो में मड़ाइ (मेला) को एक त्यौहार की तरह मनाया जाता है मड़ाई से गांव में खुशिया,प्रेम आपसी सदभावना बनी रहती है,- इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद
इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद
मैनपुर क्षेत्र के ग्रामों में अब मडाई का दौर प्रारंभ – इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद
इस मड़ाई पर्व पर रात में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किया जाता है जहां दूर दूर से नाचा,आक्रेस्टा मंगाई जाती है और कड़ाके के ठंड के बावजूद ग्रामीणों में मड़ाई के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने का उत्साह नजर आता है
सर्वोच्च छत्तीसगढ़ मैनपुर । हर वर्ष धान कटाई के बाद ग्रामीण क्षेत्रो में मड़ाइ (मेला) को एक त्यौहार की तरह मनाया जाता है मड़ाई से गांव में खुशिया,प्रेम आपसी सदभावना बनी रहती है, खेती किसानी का कार्य पूरी तरह सम्पन्न होने के बाद मैनपुर क्षेत्र के गांव गांव में मड़ाई मेला का दौर प्रारंभ होता है वह फरवरी माह तक लगातार चलता है, मड़ाई के संबंध में चर्चा करने पर क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिक हेमसिंह नेगी,प्रेमसाय जगत,छबी दिवान बताते है कि किसान अपने किसानी कार्य पूर्ण करने के बाद गांव में खुशी व मेल मिलाप के लिए मड़ाई करवाते है मड़ाई से जहां एक ओर लोगो में उत्साह देखने को मिलता है तो दूसरी ओर गांव व क्षेत्र के देवी देवताओं की पूजा अर्चना करने से क्षेत्र में सुख शांति समृद्धि बनी रहती है, मड़ाई को एक पर्व की तरह मनाया जाता है मड़ाई में अपने परिवार,रिस्तेदार,दूर दराज मि़त्रो को आमंत्रित किया जाता है और मड़ाई के नाम से दूर दूर से लोग मिलने आते इस तरह मड़ाई पर्व एक तरह से मेल मिलाप आपसी एकता का पर्व है, मड़ाई पर दूर दूर से व्यपारी दुकान लगाने पहुचते है और अच्छी बिक्री होने से व्यपारी वर्ग भी खुश रहते है धान कटाई के बाद मड़ाई होने से किसानो के पास पैसा रहता है और वे अपने जरूरत के समाग्री मड़ाई में खरीददारी करते है। देवी देवताओं के पूजा अर्चना के बाद सम्पन्न होता है मड़ाई इस आदिवासी विकासखण्ड क्षेत्र में मड़ाई पर्व पर ग्राम सहित राजभर के देवी देवताओ को एक पखवाड़ा पहले नेवता भेजा जाता है और मड़ाई पर्व के एक दिन पहले ही देर शाम तक देवी देवता मड़ाई स्थल पर पहुचते है जहां विशेष पूजा अर्चना के साथ देवी देवताओं की सवारी निकाली जाती है और देवी देवताओं से ग्राम व क्षेत्र में सुख शांति खुशहाली की कामना किया जाता है, पूरे रात्रि जागरण कर बाजा गाजा के साथ देवी देवताओं की पूजा अर्चना किया जाता है दूसरे रोज जिस मड़ाई होना है उस दिन पूरे क्षेत्र भर के जहां जहां नेवता दिया गया है वहां के देवी देवताओं के पहुचने के बाद दोपहर को सभी देवी देवताओं द्वारा मड़ाई का फेरा लगा कर मड़ाई बिहाई जाती है और इस तरह मड़ाई पर्व देवी देवताओं के पूजा अर्चना के बाद ही सम्पन्न होता है।