उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में कैमरा चोरी मामले में वन विभाग ने पुलिस को बनाया है बलि का बकरा – तीव कुमार सोनी एवं इतेश सोनी
उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में कैमरा चोरी मामले में पुलिस को बनाया गया है बलि का बकरा – तीव कुमार सोनी एवं इतेश सोनी
मैनपुर | “सर्वोच्य छत्तीसगढ़ न्यूज” की टीम बाघ के मामले पर बहुत ही बारीक नजर बनाए हुए है | साथ ही “सर्वोच्य छत्तीसगढ़ न्यूज” के द्वारा लगातार न्यूज प्रकाशित किया जा रहा है की उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में कोई भी बाघ नहीं है |बाघ नहीं होने की नाकामी छुपाने के लिए वन विभाग तरह तरह के हथकंडे अपना रही है | उसी तारतम्य में एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है जिसमे उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के वन परिक्षेत्र कुल्हाड़ीघाट में बाघ खोजने के लिए लगाया गया ट्रैप कैमरा विगत अगस्त माह में चोरी हो गया है | वन परिक्षेत्र अधिकारी कुल्हाडीघाट के रेंजर रामेश्वर लाल पटेल ने मैनपुर थाने में शिकायत कर अपराध दर्ज करवाया है | दिनांक 10/08/2019 से 17/08/2019 किसी अज्ञात चोर ने ट्रैप कैमरा चोरी कर लिया था जिस पर मैनपुर पुलिस ने दिनांक 22/09/2019 को धारा 379 अंतर्गत अपराध दर्ज किया है | वन परिक्षेत्र अधिकारी कुल्हाडीघाट ने पुलिस को किये शिकायत में बताया है की वन परिक्षेत्र अंतर्गत वन्य प्राणियो के निगरानी बाबत ट्रेप कैपरा लगाया गया है ओड बीट रक्षक भूपेन्द्र सोनी कुकरार बीट रक्षक चुरामन लाल धृतलहरे डडईपानी बीट रक्षक मनराखन ग्वाले द्वारा मुझे सूचित किया गया कि परिसर ओड कक्ष क्र0 877 GPS लोकेशन 20.22.14.0 E 82.20.16.4 में लगा ट्रेप कैमरा माडल नं0 134766004280, परिसर कुकरार कक्ष क्र0 884 GPS लोकेशन N 20.22.16.8 E 82.23.13.2 ट्रेप कैमरा माडल नं0 134766002513, डडईपानी कक्ष क्र0 902 GPS लोकेशन N 20.20.44.0 E 82.23.20.64 ट्रेप कैमरा माडल नं0 134766001832 एवं GPS लोकेशन N 20.20.44.6 E 82.23.20.62 ट्रेप कैमरा माडल नं0 134766002572 में लगे Cudde back Digital 04 नग ट्रेप कैमरो कुल किमती 79 हजार 800 रूपये को कोई अज्ञात चोर चोरी करके ले गए है इस संबंध में हमारे बीट रक्षको द्वारा चेारी गए कैमरो एवं चोरो (अज्ञात) के संबंध में पता साजी की गई तो पता नही चला है | जिस पर मैनपुर पुलिस के द्वारा अपराध दर्ज किया गया है | कैमरा चोरी होने के मामले में “सर्वोच्य छत्तीसगढ़ न्यूज” की टीम ने गहन जांच पड़ताल किया है और पाया है की कैमरा चोरी होने की कहानी झूठी है और इसमें पुलिस को बलि का बकरा बनाया गया है जिसका विवरण निम्नानुसार है –
200 कैमरा लगाए पर बाघ नहीं मिला, यही से शुरू होती है कैमरा चोरी होने की कहानी
उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में कोई भी बाघ नहीं है वन विभाग बाघ होने की झूठी जानकारी शासन को दे कर करोडो का बजट प्राप्त कर रहा है | उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ की मौजूदगी का कोई भी पुख्ता प्रमाण वन विभाग के पास नहीं है | जिस कारण बाघ के पुख्ता प्रमाण प्राप्त करने के लिए उच्च कार्यालय द्वारा भारी दबाव बनाया गया | उच्च कार्यालय के भारी दबाव के कारण उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ खोजने के लिए 200 ट्रैप कैमरा लगाया गया परन्तु एक भी कैमरे में बाघ का फोटो नहीं आया | तब बाघ नहीं मिलने की नाकामी को छुपाने के लिए वन विभाग ने ब्लैक पैंथर मिलने की झुठी कहानी बना कर समाचार पत्रों में न्यूज छपवा दिया की 200 कैमरे लगा कर ब्लैक पैंथर खोजा गया है | परन्तु 200 कैमरा तो बाघ को खोजने के लिए लगाया गया था ब्लैक पैंथर खोजने के लिए नहीं लगाया गया था | 200 कैमरों मे तो बाघ मिला ही नहीं था तथा ब्लैक पैंथर की झूठी कहानी जादा दिन चलने वाली नहीं थी | वन विभाग को कैमरों से छुटकारा पाने का कोई तगड़ा बहाना खोजना था क्योकि जब तह कैमरा रहता तब तक बाघ का फोटो देने की टेंशन रहती | पर उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ तो है ही नहीं तो फोटो कहा से मिलेगा |
वन विभाग ने कैमरा चोर का ना पैर का निशान लिया ना खोजी कुत्ता लगाया
उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में जो कैमरा चोरी किया है उसको चुराने वाला कोई आदमी ही होगा और वो चोर अपने पैरो में ही चल कर आया होगा इसलिए घटना स्थल पर चोर के पैरो के निशान जरुर बने होंगे | परन्तु वन विभाग ने चोर के पैरो के निशान लेना उचित नहीं समझा और ना ही ही चोर को खोजने के लिए खोजी कुत्ता लगाया जबकि बाघ के पैरो के निशान लेने में वन विभाग विशेषज्ञ है और बाघ को खोजने के लिए कई बार खोजी कुत्ता भी लाया गया है |
पुलिस में कैमरा चोरी का रिपोर्ट क्यों किया गया
बाघ के प्रमाण नहीं मिलने से उच्च कार्यालय वन विभाग से बहुत जाड़ा नाराज है उच्च कार्यालय को लगता है की उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ होने का जो भी प्रमाण प्रस्तुत किया जाता है वो विश्वसनीय नहीं है | अब कैमरा चोरी होने की बात उच्च कार्यालय को बताया जाता है तो उच्च कार्यालय उनकी बात पर यकीन नहीं करेगा | इसलिए वन विभाग को अन्य विश्वसनीय विभाग का प्रमाण चाहिए था | अब पुलिस के एफ. आई. आर. से जादा विश्वसनीय प्रमाण कोई हो ही नहीं सकता है | वन विभाग को पुलिस के एफ. आई. आर. की कापी मिल गया फिर टेंशन फ्री |
कैमरा चोरी का पूरा टेंशन अब पुलिस का
वन विभाग को कैमरा चोरी होने का पुलिस के एफ. आई. आर. की कापी मिल चुकी है जिसे उच्च कार्यालय मेप्रस्तुत कर वन विभाग पाक साफ़ बच गया है | अब कैमरा चोरी प्रकरण का पूरा टेंशन पुलिस का है क्योकि प्रकरण का पूरा जांच पुलिस को करना है | पुलिस की मजबूरी यह है की जहा पर कैमरा चोरी होने की बात बताई गयी है जो नक्सलियों का गढ़ है इसलिए पुलिस जांच के लिए वहा जा नहीं सकती है अगर पुलिस वहा जायेगी भी तो 50 – 100 की संख्या में जाना पडेगा | अब दिक्कत ये है की मामला उतना बड़ा नहीं है की पुलिस वहा 50 – 100 की संख्या में जाए | इस प्रकार कैमरा चोरी होने का मामला पुलिस के पास ही पड़ा रहेगा | अब मामला पुलिस के पास पेंडिंग रहने से वन विभाग को बहुत बढ़िया बहाना मिल गया है | जब भी उच्च कार्यालय कैमरा चोरी मामले के बारे में वन विभाग को पूछेगा तो वन विभाग कहेगा की मामला पुलिस के पास है और पुलिस आगे जांच नहीं कर रही है , जब तक पुलिस की जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती है तब तक कुछ भी बताया नहीं जा सकता है | इस प्रकार वन विभाग ने पुलिस को बलि का बकरा बनाया है क्योकि वन विभाग के पास सभी संसाधन है अगर वन विभाग चाहता तो कैमरा चोरी का जांच खुद कर सकता था |
पुलिस सबसे पहले कैमरा लगाने की जांच करे, सभी का थाने में बयान लिया जाए कैमरा चोरी मामला खुल जाएगा
पुलिस को सबसे पहले तो यह जांच करना चाहिये की क्या वास्तव मे जंगलो में कैमरे लगाए गए थे या फिर कैमरा चोरी एक झुठी कहानी है | जांच के बिंदु होने चाहिए 01- कैमरा कहा से ख़रीदा गया, 02 – कैमरा मैनपुर तक कौन लाया, 03 – कैमरा में जी.पी.एस. लोकेशन कौन सेट किया और उसका पूरा डाटा कहा स्टोर किया जाता था, 04 – कैमरा को कुल्हाड़ीघाट तक कौन ले गया, 05 – मैनपुर से कुल्हाड़ीघाट तक केमरा ले जाने का जी.पी.एस. लोकेशन ट्रेस का रिकार्ड कहा है , 06 – कुल्हाड़ीघाट के जंगल में कैमरा कौन लागाया उसका रिपोर्टिंग क्या है , 06 – चोरी होने से पहले का कैमरों का रिकार्ड कहा है | सभी का थाने में बयान लिया जाए कैमरा चोरी मामला खुल जाएगा