फूट डालो और राज करो की नीति पर काम कर रही भूपेश सरकार – केदार कश्यप. एक तरफ भूपेश बघेल आदिवासी हितैषी और पक्षधर होने का ढोंग करते हैं, दूसरी तरफ आदिवासियों के असंतोष के लिए जिम्मेदार लोगों को पुरुस्कृत करते है..

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जगदलपुर–भूपेश सरकार द्वारा के. पी. खंडे को राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष बनाए जाने के फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप ने कहा कि भूपेश सरकार की मिलीभगत और षड्यंत्र से आदिवासियों को छलने और जातियों को आपस में लड़ाने का गंदा खेल खेल रही है।

   

विगत दिनों आदिवासियों का 32 प्रतिशत आरक्षण भूपेश सरकार की “ऐच्छिक नाकामी” के परिणाम स्वरूप माननीय उच्च न्यायालय से अपास्त घोषित हुआ। यह सभी जानते है कि 32 प्रतिशत आरक्षण को निरस्त घोषित करने के पक्ष में पैरोकारी करने वाली एक मुख्य पक्षकार गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी संस्था रही है। जिसके अध्यक्ष केपी खंडे है। 32 फीसदी आरक्षण को निरस्त घोषित कराने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। जिसका इनाम देते हुए कांग्रेस की भूपेश सरकार ने उन्हें राज्य अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। यह आदिवासियों के साथ सीधा छल नही तो और क्या है? ये भूपेश सरकार की दोहरी और दोगली नीति का प्रमाण नही तो क्या है? प्रदेश में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति को आपस में लड़ाकर अंग्रेजों वाली तरकीबें अपनाना भूपेश जी बंद कीजिए । “फूट डालो राज करो” की आपकी नीति उजागर हो चुकी है।

 

 

भूपेश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए केदार कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक तरफ आप आदिवासी हितैषी और पक्षधर होने का ढोंग करते हो, दूसरी तरफ आदिवासियों के असंतोष के लिए जिम्मेदार लोगों को आप पुरुस्कृत करते हैं। आदिवासी समाज को ठगने, झांसा देने का खेल हो रहा है। इससे पूर्व भूपेश सरकार ने ओबीसी समाज को 27% आरक्षण देने का ड्रामा किया। बाद में अपने ही करीबी के कुणाल शुक्ला को माननीय हाईकोर्ट में खड़ा करके उसपर स्टे लगवा दिया। उसी कुणाल शुक्ला को भूपेश सरकार ने पुरुस्कार देते हुए कबीर शोध पीठ का अध्यक्ष नियुक्त कर ओबीसी समाज के गाल पर करारा तमाचा मारा था।

   

श्री कश्यप ने कहा कि कांग्रेस की भूपेश सरकार छत्तीसगढ़ की एक जाति को दूसरे जाति से लड़ाने का यह गंदा खेल खेलना बंद करे। गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष के पी खंडे को पुरुस्कार स्वरूप राज्य अनुसूचित जाति आयोग के रूप नियुक्त करना यह प्रमाणित करता है कि आदिवासियों का 32 फीसदी आरक्षण छीनकर, आदिवासी हितों को चोट पहुंचाने में आपकी कितनी महत्वपूर्ण भूमिका रही होगी।

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