बस्तर संभाग से खुलती है सत्ता की चाबी

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बस्तर.

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर पहले चरण में 7 नवंबर को 20 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे। इनमें सबसे महत्वपूर्ण संभाग बस्तर है, जहां से कुल 90 सीटों में से 12 सीटें आती हैं। आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में कुल 7 जिले आते हैं। 7 जिलों के संभाग में यहां छत्तीसगढ़ की 12 विधानसभा और 1 लोकसभा सीट है। बस्तर संभाग की 12 विधानसभा सीटों में 11 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) और एक सीट सामान्य है। इनमें बस्तर, कांकेर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा, बीजापुर, कोंटा, केशकाल, कोंडागांव, नारायणपुर, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर की सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। वहीं जगदलपुर विधानसभा सीट सामान्य है। वर्तमान में 12 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है।

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यहीं से करारी हार का सामना करना पड़ा था और सत्ता गंवानी पड़ी थी। राजनीतिक दृष्टिकोण से बस्तर संभाग काफी अहम माना जाता है। कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ में सत्ता की चाबी बस्तर संभाग से खुलती है। इसलिए माना जाता है कि अगर छत्तीसगढ़ में सरकार बनानी है, तो बस्तर किला पर फतह हासिल करना बहुत जरूरी है। प्रदेश में कुल 90 विधानसभा सीट हैं, जिनमें 39 सीटें आरक्षित हैं। 39 में से  29 सीटें आदिवासियों के लिए सुरक्षित हैं । 29 में से 12 सीटें बस्तर संभाग से आती हैं। 15 साल तक सत्ता पर काबिज रही बीजेपी को साल 2018 में यही से करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था, इसलिए बीजेपी में सत्ता पाने की बैचेनी है। बस्तर में बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओपी माथुर समेत पार्टी के कई दिग्गज नेता दौरा कर चुके हैं और कर रहे हैं। बस्तर में पीएम मोदी, प्रियंका गांधी और सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान बस्तर में चुनावी सभा कर चुके हैं। बस्तर संभाग के रहवासियों के मुख्य आय का स्त्रोत वनोपज और खेती-किसानी है।

बस्तर संभाग में 12 विधानसभा सीटों का सियासी समीकरण-
बस्तर: इस सीट से इस बार बीजेपी प्रत्याशी मनीराम कश्यप के सामने कांग्रेस प्रत्याशी लखेश्वर बघेल चुनाव लड़ रहे हैं। फिलहाल यहां पर
लखेश्वर बघेल मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं। वह दो बार के विधायक रह चुके हैं। वह 2018 का चुनाव काफी बड़े अंतर से जीते थे। वहीं मनीराम पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। वो तीन बार जिला पंचायत सदस्य और उपाध्यक्ष रह चुके हैं। कुछ इलाकों में इनकी मजबूत पकड़ है। यहां कुल मतदाता 167635 है। इसमें पुरुष 81184 और महिला 86449 हैं। वहीं ट्रांसजेंडर 2 हैं।
जगदलपुर: इस सीट से इस बार से बीजेपी प्रत्याशी किरणदेव सिंह के सामने कांग्रेस प्रत्याशी जीतिन जायसवाल चुनाव लड़ रहे हैं। वर्तमान में दोनों के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है। दोनों नगर निगम में पूर्व महापौर रह चुके हैं। किरण सिंहदेव की पहली बार चुनावी मैदान में है। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 205953 है। इनमें पुरुष  98778, महिला 107144 और ट्रांसजेंडर  मतदाता 31 है।
नारायणपुर: इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी केदार कश्यप के सामने कांग्रेस प्रत्याशी चंदन कश्यप चुनाव लड़ रहे हैं। केदार कश्यप दो बार विधायक और पूर्व मंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में भाजपा के महामंत्री हैं। वहीं चंदन कश्यप पहली बार के विधायक हैं। उन्होंने 2018 में केदार को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया था। वर्तमान में केदार कश्यप मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 190672 है। इनमें पुरुष 92030, महिला 98639 और ट्रांसजेंडर मतदाता 3 हैं।
कांकेर:  इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी आशाराम नेताम के सामने कांग्रेस प्रत्याशी शंकर ध्रुव चुनाव लड़ रहे हैं। नेताम पहली बार चुनाव मैदान में है। वे ग्रामीण मंडल मंत्री हैं। वहीं शंकर ध्रुव ग्राम पंचायत मुड़पार के सरपंच रह चुके हैं। पहली बार 2013 में विधायक बने। फिलहाल बीजेपी प्रत्याशी आशाराम नेताम मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं। हालांकि कांग्रेस जरूर टक्कर देती दिख रही है। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 87161 है। इनमें पुरुष 87161, महिला  95082 और ट्रांसजेंडर मतदाता 2 हैं।
कोंडागांव : इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी लता उसेंडी के सामने कांग्रेस प्रत्याशी मोहन मरकाम चुनाव लड़ रहे हैं। साल 2003 से भाजपा की लता उसेंडी विधायक बनीं। 2008 में भी वो दोबारा जीतीं। 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मोहन मरकाम ने लता को हराकर विधायकी पर कब्जा कर लिया। 2018 में भी वे दोबारा जीतकर आए। दो बार के विधायक रहे मरकाम से इस बार उनके समर्थक और कार्यकर्ता कटे हुए नजर आ रहे हैं। ये उनकी कमजोरी के रूप में दिख रही है। वहीं बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लता उसेंडी मजबूत स्थिति में दिख रही है। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 188520  है। इनमें पुरुष 91044, महिला  97473 और ट्रांसजेंडर मतदाता 3 हैं।
केशकाल: इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी नीलकंठ टेकाम के सामने कांग्रेस प्रत्याशी संतराम नेताम चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व आईएएस ऑफिसर टेकाम पहली बार चुनाव मैदान में हैं। इस सीट से नए चेहरे हैं। वहीं संतराम नेताम 2013 में विधायक बने। 17 साल तक पुलिस विभाग में सेवाएं दे चुके हैं। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 206304 है। इनमें पुरुष 100230, महिला  106070 और ट्रांसजेंडर मतदाता 4 हैं। यहां बीजेपी मजूबत स्थिति में है। क्योंकि बीजेपी प्रत्याशी को चुनाव प्रचार के लिए पर्याप्त समय मिल चुका है।
दंतेवाड़ा:  इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी चेतराम अटामी के सामने कांग्रेस प्रत्याशी छविंद्र महेंद्र कर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। अटामी 2015 से 2020 तक जिला पंचायत सदस्य रहे। दंतेवाड़ा सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता महेंद्र कर्मा की परंपरागत सीट रही है। वर्तमान में दंतेवाड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस से देवती कर्मा विधायक हैं। देवती कर्मा बस्तर टाइगर के नाम से मशहूर कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी हैं, जिन्हें नक्सलियों ने झीरम घाटी मे गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस बार कांग्रेस ने देवती कर्मा के बेटे छविंद्र कर्मा को टिकट दिया है। फिलहाल, यहां से कांग्रेस मजबूत स्थिति में होने से आगे दिख रही है। इस सीट पर हुए पिछले 4 विधानसभा चुनावों में तीन बार कांग्रेस की जीत हुई, जबकि एक बार बीजेपी की जीत हुई है। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 192323 है। इनमें पुरुष 90084, महिला 102237 और ट्रांसजेंडर मतदाता 2 हैं।
अंतागढ़: इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी विक्रम उसेंडी के सामने कांग्रेस प्रत्याशी रुप सिंह पोटाई चुनाव लड़ रहे हैं। उसेंडी पूर्व सांसद और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। रमन सरकार में 2008 में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। वहीं पोटाई सरपंच संघ के पूर्व अध्यक्ष और आदिवासी कमेटी जिला उपाध्यक्ष रह चुके हैं। फिलहाल यहां बीजेपी मजबूत स्थिति में दिख रही है। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 175965 है। इनमें पुरुष 88512, महिला 87445 और ट्रांसजेंडर मतदाता 8 हैं।
भानुप्रतापपुर: इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी गौतम उईके के सामने कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी चुनाव लड़ रहे हैं। उईके पहली बार चुनाव मैदान में हैं। वे 2000 से 2015 तक जनपद सदस्य रह चुके हैं। वहीं सावित्री मंडावी पूर्व विधायक मनोज मंडावी की पत्नी हैं। वो उपचुनाव में जीत हासिल की थीं। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 201826 है। इनमें पुरुष 98549, महिला 104275 और ट्रांसजेंडर मतदाता 2 हैं।
कोंटा:  इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी सोयम मुका के सामने कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट से वर्तमान मंत्री और विधायक कवासी लखमा के नाम पांच बार विधायक बनने का रिकार्ड है। वो छठवीं बार चुनाव मैदान में हैं। वो कांग्रेस के बस्तर में दिग्गज नेता माने जाते हैं। आदिवासियों में उनकी अच्छी-खासी पकड़ है। बस्तर चार बार विधायक बनने वालों में कांग्रेस के झितरूराम बघेल का नाम आता है। उन्हें छोड़ दिया जाए तो अन्य कोई भी दल प्रत्याशी तीन बार से अधिक चुनाव नहीं जीत सका है। यहां वर्तमान में लखमा मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 190672 है। इनमें पुरुष 92030, महिला 98639 और ट्रांसजेंडर मतदाता 3 हैं।
चित्रकोट: इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी विनायक गोयल के सामने कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बैज चुनाव लड़ रहे हैं। यहां वर्तमान में बैज मजबूत स्थिति में दिख रह हैं। वो दो बार 2013 और 2018 के विधायक हैं। साल 2019 में पहली बार बस्तर से सांसद बने और वर्तमान में आदिवासी चेहरा होने से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। युवा चेहरे हैं। वहीं गोयल पहली बार विधायक का चुनाव लड़ रहे हैं। वो तोकापाल मंडल उपाध्यक्ष और जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 177432 है। इनमें पुरुष 83471, महिला 93959 और ट्रांसजेंडर मतदाता 2 हैं।
बीजापुर: इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी महेश गागड़ा के सामने कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम मंडावी चुनाव लड़ रहे हैं। मंडावी पहली बार के विधायक हैं। वर्तमान में वो बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष हैं। वहीं महेश गांगड़ा रमन सरकार में पूर्व मंत्री रह चुके हैं। अनुसूचित जाति जनजाति के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य हैं। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 168991 है। इनमें पुरुष 81426, महिला 87557 और ट्रांसजेंडर मतदाता 8 हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों मजूबत स्थिति में हैं। इस बार दोनों के बीच कांटे की टक्कर है।

बस्तर संभाग के स्थानीय मुद्दे
बस्तर संभाग में सबसे बड़ा मुद्दा और समस्या नक्सलवाद है। नक्सलियों के विरोध के चलते सरकारी भवन और सड़क निर्माण का कार्य लंबे समय से ठप है। आए दिन नक्सली वारदात होने से विकास कार्य प्रभावित हैं। यहां के अंदरुनी इलाकों में स्वास्थ्य का बुरा हाल है। ऐसे कई ग्रामीण इलाके हैं जहां स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं है। इस वजह से ग्रामीणों को कई किलोमीटर पैदल चलकर मरीजों को कंधे या कावड़ में रखकर स्वास्थ केंद्रों और अस्पतालों तक पहुचाना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोड, नाली, पानी की समस्या लंबे समय से है। कई पंचायतों में हाई स्कूल तक नहीं बने हैं। संभाग में बेरोजगारी समस्या है। कई युवा शिक्षित बेरोजगार हैं। कम फैक्ट्री होने से  अधिकांश युवा कुली मजदूरी पर ही निर्भर हैं।

बस्तर संभाग में 7 जिले
बस्तर
कांकेर
दंतेवाड़ा
बीजापुर
नारायणपुर
सुकमा
कोंडागांव

बस्तर संभाग में 12 विधानसभा सीटें
बस्तर
जगदलपुर
कांकेर
चित्रकोट
दंतेवाड़ा
बीजापुर
कोंटा
केशकाल
कोंडागांव
नारायणपुर
अंतागढ़
भानुप्रतापपुर

0- 11 सीटें एसटी के लिए आरक्षित
0- केवल 1 सीट जगदलपुर सामान्य
0- वर्तमान में 12 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा
0- प्रदेश में 29 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित, इनमें 12 सीटें बस्तर संभाग से हैं

बस्तर संभाग की वीआईपी सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस के ये प्रत्याशी हैं आमने-सामने-
0- नारायणपुर से बीजेपी प्रत्याशी केदार कश्यप के सामने कांग्रेस प्रत्याशी चंदन कश्यप
0- कोंडागांव से बीजेपी प्रत्याशी लता उसेंडी के सामने कांग्रेस प्रत्याशी मोहनलाल मरकाम
0- केशकाल से बीजेपी प्रत्याशी नीलकंठ टेकाम के सामने कांग्रेस प्रत्याशी संतराम नेताम
0- दंतेवाड़ा से बीजेपी प्रत्याशी चेतराम अरामी के सामने कांग्रेस प्रत्याशी छविंद्र महेंद्र कर्मा
0- अंतागढ़ से बीजेपी प्रत्याशी विक्रम उसेंडी के सामने कांग्रेस प्रत्याशी रुप सिंह पोटाई
0- कोंटा से बीजेपी प्रत्याशी सोयम मुका के सामने कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा
0- चित्रकोट से बीजेपी प्रत्याशी विनायक गोयल के सामने कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बैज
जानें बस्तर संभाग की 12 सीटों पर कौन मजबूत, कौन कमजोर
फिलहाल, बीजेपी 5 सीटों पर मजबूत दिखाई दे रही है। यानी इन सीटों पर वह आगे है जबकि कांग्रेस अपने खाते की 12 में से सिर्फ 4 पर मजबूत स्थिति में दिख रही है। बाकी 2 सीटों पर सीधा टक्कर है। संभाग की एकमात्र सामान्य सीट जगदलपुर में कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। बाकी अन्य राजनीतिक पार्टियां भी चुनावी मैदान में हैं, लेकिन वो वोटकटवा मात्र साबित होती दिख रही हैं।
ये है चुनावी कार्यक्रम
इस साल छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव कराए जाएंगे। 7 नवंबर को पहला चरण और 17 नवंबर को दूसरे चरण में चुनाव कराए जाएंगे। वहीं 3 दिसंबर को मतगणना होगी।

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