प्रदेश की 11 विधानसभा पर कुछ वोट के स्विंग होने से बदल सकते हैं नतीजे

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भोपाल

मध्य प्रदेश में 11 विधानसभा सीट ऐसी हैं जहां हार जीत का अंतर काफी कम है। इस बार मैदान में उतरे उम्मीदवार यदि थोड़ी सी ही मेहनत करें तो चुनाव के परिणाम बदल सकते हैं। मध्य प्रदेश में 2018 में हुए आम चुनाव में 11 सीट ऐसी हैं जहां उम्मीदवारों की हार जीत का अंतर 350 से लेकर 1180 तक ही है। इस बार मैदान में उतरे उम्मीदवार यदि थोड़ी ही मेहनत करें तो पार्टी की हार को जीत में बदल सकते हैं।  पिछले विधानसभा चुनाव में इन 11 सीटों में से 7 कांग्रेस के पास और 4 बीजेपी के पास रही थी।

ग्वालियर दक्षिण में कांग्रेस की टिकट पर प्रवीण पाठक ने 121 मतों से बीजेपी के नारायण सिंह कुशवाहा को हराया था। सुवासरा विधानसभा सीट पर वर्ष 2018 में कांग्रेस की टिकट पर हरदीप सिंह डंग ने बीजेपी के उम्मीदवार राधेश्याम पाटीदार को मात्र 350 मतों से हराया था। जौरा विधानसभा में बीजेपी के राजेंद्र पांडे ने मात्र 511 मतों से कांग्रेस के के सिंह को चुनाव हराया था। राजनगर, दमोह, जबलपुर उत्तर, ब्यावरा,राजपुर मैं भी कांग्रेस उम्मीदवार काफी कम मतों से भाजपा उम्मीदवारों से चुनाव जीते थे। वहीं कोलारस, बीना और देवतालाब में बीजेपी उम्मीदवार काफी कम मतों से चुनाव जीत पाए थे। इन सभी 11 विधानसभा सीटों पर इस बार चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवार चुनाव प्रचार और मतदाताओं से मिलने की रणनीति पर थोड़ी ही मेहनत कर लें तो राजनीतिक दल हारी हुई बाजी फिर से जीत सकते हैं।

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