छत्तीसगढ़

भ्रष्टाचार का बड़ा खेल कागज पर बना दिया बाजार चबूतरा. शिकायत कर्ता ने कहा पूर्व सरपंच सहित शामिल सभी लोगो के ऊपर हो कार्यवाही.

बालोद..सरकार बदली. सिस्टम बदला अधिकारी बदला कर्मचारी बदला. अगर नहीं बदला तो सिर्फ भ्रष्टाचार रूपी राक्षश. जो चंद रुपयों की...

बढ़ते महँगाई के चलते एक दिवसीय धरना प्रदर्शन गुरूर मे.

बालोद. गुरूर में डीजल पेट्रोल के बढ़ते दामों को लेकर केंद सरकार के खिलाफ एक दिवसीय धरना प्रदर्शन में लोकप्रिय...

कांकेर में टेंडर से पहले ही करोड़ों का निर्माण का कार्य शुरू, माकपा ने लगाया राजनैतिक और प्रशासनिक संरक्षण में भ्रष्टाचार का आरोप

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कांकेर जिले के लखनपुरी में प्रस्तावित कन्या छात्रावास के निर्माण में टेंडर प्रक्रिया से ही उच्च...

बढ़ते महँगाई के चलते एक दिवसीय धरना प्रदर्शन गुरूर मे.

बालोद. गुरूर में डीजल पेट्रोल के बढ़ते दामों को लेकर केंद सरकार के खिलाफ एक दिवसीय धरना प्रदर्शन में लोकप्रिय...

बहाना बनाना बंद करे भूपेश सरकार नियुक्ति की निश्चित तारीख बताएं कोमल हुपेंडी प्रदेश अध्यक्ष आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़

सरकार जल्द नियुक्ति दे नहीं तो पूरे प्रदेश के युवा करेंगे आंदोलन- *तेजेन्द्र तोड़ेकर* यूथ अध्यक्ष आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़...

पेट्रोल- डीजल के बढ़े दामों से आम लोगों की जरूरत की चीजें हुई महंगी- कोमल हुपेंडी (प्रदेश अध्यक्ष)

केंद्र ओर राज्य सरकार आम आदमी के जेब में डाल रही है डाका- तेजेन्द्र तोड़ेकर प्रदेश अध्यक्ष (आप यूथ विंग)...

बघेल सरकार के सपनों को लगा ग्रहण. मामला बोरतरा गौठान का. बालोद जिले से.

बालोद.. सरकारी विभागों की भाग दौड़. अधिकारियों के दौरे. जिले उच्च अधिकारियों के निर्देश के बाद भी गुरूर विकास खंड...

युवा कांग्रेसियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर अपमानजनक अभद्र टिप्पणी के विरोध में अर्नब गोस्वामी का पुतला जलाया

आज रायपुर गांधी मैदान कांग्रेस भवन के सामने हामिद सानू रज़ा निर्वाचित जिला महासचिव रायपुर युवा कांग्रेस के नेतृत्व में...

तेन्दुवा खाल तस्करी करते आरोपी चढ़ा पुलिस के हत्थे नक्लस प्रभावित क्षेत्र से वन्य जीव तस्कर को किया गिरफ्तार- इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद

इतेश सोनी गरियाबंद – जिले में तस्करों के खिलाफ लगातार की जा रही कार्यवाही शरीर एवं सम्पत्ति संबंधि अपराध के...

कुरुद : रेत माफियाओं का आतंक जारी प्रदेश में एक तरफ 15 जून से नदी से रेत खनन रेत निकासी पूर्णता बंद है इसके बावजूद प्रदेश में हर जगह रेत माफियाओं का आतंक जारी है

,ये रेत माफिया जिला प्रशासन से नहींडरते, सरकार से नही डरते, इन्हें किसी प्रकार का कोई डर नही है, किसी...

You may have missed

” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।