छत्तीसगढ़

विभिन्न बैनर तले कार्य करने वाले पत्रकारों को एक मंच पर लाना सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य – रेणुका सिंह

कार्यक्रम में शामिल हुए सैकड़ों पत्रकार, कई दर्जन हुए सम्मानित… अम्बिकापुर। छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन के तत्वधान में संभाग स्तरीय पत्रकार...

भारी बारिश में महिला मजदूर का मकान तोड़ा गया

विधायक और पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कीकोरबा। जिले के रामपुर क्षेत्र से भारतीय...

विद्युत कर्मी के सूने मकान को चोरों ने बनाया निशाना

दुर्गा पूजा देखने गया था परिवार, 45 हजार रुपए सहित स्वर्णाभूषणों की चोरीकोरबा। त्योहारी सीजन के शुरू होते ही चोरों...

मोदी ने स्वच्छता को जन आंदोलन में किया तब्दीलः शाह

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर देश भर में कई कार्यक्रमों का...

अब यहाँ लगा गुटखा-पान मसाला पर प्रतिबंध…..

उदयपुर। राज्य सरकार ने प्रदेश में गुटखे और पान-मसाले पर प्रतिबंध लगा दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा किये गए...

कांकेर में 96 साल से संरक्षित है महात्मा गांधी से मिला सुराजी तिरंगा

दुर्ग में स्व. घनश्याम गुप्ता के घर सुरक्षित रखी गयी है बापू की मीटिंग लेने वाली कुर्सीरायपुर। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रपिता...

महात्मा गांधी ने छत्तीसगढ़ में यहां शुरू की थी छुआछूत के खिलाफ जंग!

रायपुर. महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 150वीं जयंती पर देशभर में उनको याद किया जा रहा है. जगह जगह कार्यक्रमों...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।