महात्मा गांधी ने छत्तीसगढ़ में यहां शुरू की थी छुआछूत के खिलाफ जंग!

0
Spread the love

रायपुर. महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 150वीं जयंती पर देशभर में उनको याद किया जा रहा है. जगह जगह कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में भी महात्मा गांधी से जुड़ी कई यादें जुड़ी हुई हैं. छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी दो बार आए थे. प्रदेश में कई ऐसी धरोहरें हैं, जो बापू की यादें समेटे हुए हैं. 20 दिसंबर 1920 को महात्मा गांधी रायपुर पंडित सुंदरलाल शर्मा के साथ रेलवे स्टेशन पर उतरे. उनके साथ खिलाफत आंदोलन के नेता मौलाना शौकत अली भी थे. इसके बाद 1933 में दूसरी बार वे छत्तीसगढ़ आए.

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) 22 से 28 नवंबर 1933 में कुल 5 दिन छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) प्रवास पर रहे. इसी दौरान 24 नवंबर को उन्होंने रायपुर (Raipur) के लारी स्कूल (वर्तमान सप्रे स्कूल) में जनसभा को संबोधित किया. इसके बाद पंडित सुदरलाल शर्मा के संचालित सतनामी आश्रम का निरीक्षण किया और मौदहापारा में हरिजनों को संबोधित किया. इसके बाद महात्मा गांधी पहुंचे राजधानी रायपुर की पुरानी बस्ती स्थित जैतिसाव मठ, जहां उन्होंने छुआछूत के खिलाफ प्रदेश में जंग की शुरुआत की और लोगों को जागरूक करने अलख जगाई.

दिया ये संदेश

रायपुर में बापू ने सभा भी ली और सर्वधर्म समभाव का मंत्र भी दिया. बापू ने बताया कि ईश्वर कभी छूआछूत वाले को माफ नहीं करते. जैतुसाव मंठ के मंदिर इसलिए भी लोगों के लिए श्रद्धा के केन्द्र है क्योंकि महात्मा गांधी ने यहां कई कुरुतियों को तोड़ा था. यही नहीं उन्होंने पास ही स्थित एक कुएं से हरिजनों को पानी निकालने दिया. उनके हाथ का पानी सबको पिलाया. आज भी यह कुआं पवित्र कुंड की तरह है माना जाता है.

स्वराज के लिए मिला फंड
छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान रायपुर के ब्राह्मणपारा में आनंद वाचनालय में महात्मा गांधी ने महिलाओं को संबोधित किया. महिलाओं ने तिलक स्वराज फंड में लगभग 2000 रुपये कीमत के गहने भेंट किए. गांधी जी के इस दौरे की व्यवस्था पं. रविशंकर शुक्ल तथा राजेन्द्र सिंह के हाथों में थी. गांधी जी का यह कार्यक्रम हरिजनों के उत्थान हेतु आयोजित किया गया था. प्रवास के दौरान दुर्ग में महात्मा गांधी घनश्याम गुप्त के यहां रूके थे. वहां आते ही बापू ने पूछा कि कि दुर्ग में देखने के लिए क्या है तो उस स्कूल का जिक्र किया गया, जहां 1926 से सवर्ण तथा हरिजनों के बच्चे एक ही टाट पट्टी पर बैठकर पढ रहे थे. उसी दिन शाम को दुर्ग के मोती बाग तालाब के मैदान में एक बड़ी जनसभा हुई थी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed