छत्तीसगढ़

स्वरूपनान्द सरस्वती ही हैं ज्योतिष पीठ के शंकाराचार्य : सुप्रीम कोर्ट

  स्वरूपनान्द सरस्वती ही हैं ज्योतिष पीठ के शंकाराचार्य : सुप्रीम कोर्ट माननीय सर्वोच्चय न्यायालय के न्यायाधीश माननीय अरुण मिश्रा...

अनुमति लिए बगैर बन रहा कोसमबुड़ा में भवन ,ठेकेदार व निर्माण एजेंसी से खफा है ग्रामीण…

: छुरा (रक्सी)। गरियाबंद जिले के विकासखंड छुरा से करीब दो किलोंमीटर दूर ग्राम पंचायत कोसमबुड़ा में इन दिनों एकलव्य...

ग्राम पंचायत की बिना अनुमति के बन रहा है “एकलव्य आदर्श विद्यालय भवन” का निर्माण…

छुरा (रक्सी)। गरियाबंद जिले के विकासखंड छुरा से करीब दो किलोंमीटर दूर ग्राम पंचायत कोसमबुड़ा में इन दिनों एकलव्य आदर्श...

सांसद श्री चंदू लाल साहू जी धमतरी जिले के विभिन्न कार्यक्रमो में हुए शामिल – तीव कुमार सोनी

महासमुंद लोकसभा के सांसद श्री चंदूलाल साहू जी आज धमतरी जिले के विभिन्न कार्यक्रमो में शामिल हुए । सांसद जी...

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में नही है कोई भी बाघ, बाघ के नाम पर अधिकारियों ने किया 15 करोड़ का गोलमाल – तीव कुमार सोनी (जिला संवाददाता )

गरियाबंद - उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में 15 साल से बाघ नही है । बाघ नही होने के बाद भी...

संजय नेताम है बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा के मजबूत दावेदार

युवा कांग्रेस के नेता संजय नेताम बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा के मजबूत दावेदार है वे बिन्द्रानवागढ़ की राजनीति में तेजी उभरे है...

सांसद श्री चंदू लाल साहू जी आज महासमुंद जिले के झलप में पट्टा वितरण कार्यक्रम तथा बसना में शिक्षक सम्मान समारोह में हुए शामिल – तीव कुमार सोनी

महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के लोकप्रिय सांसद श्री चंदूलाल साहू जी दिनांक आज महासमुंद जिले के ग्राम झलप में मुख्यमंत्री आबादी...

भाजपा सरकार ने आम जनता के जीवन को खुशहाल बनाया – श्री केदार कश्यप*

  *भाजपा सरकार ने आम जनता के जीवन को खुशहाल बनाया - श्री केदार कश्यप* नारायणपुर विधानसभा के 150 लोगो...

पाटन में पारंपरिक बाजा की रही धूम, छत्तीसगढ़ की लोक सँस्कृति को पुनर्जीवित करने का अच्छा प्रयास –डॉ मढ़रिया

पाटन में पारंपरिक बाजा की रही धूम, छत्तीसगढ़ की लोक सँस्कृति को पुनर्जीवित करने का अच्छा प्रयास --डॉ मढ़रिया बोलबम...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।