उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में नही है कोई भी बाघ, बाघ के नाम पर अधिकारियों ने किया 15 करोड़ का गोलमाल – तीव कुमार सोनी (जिला संवाददाता )
गरियाबंद – उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में 15 साल से बाघ नही है । बाघ नही होने के बाद भी आबंटन के लालच में अधिकारियों ने शासन को गुमराह कर टाईगर रिजर्व बना दिया गया है । उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ नही है फिर भी बाघ के संरक्षण संवर्धन के नाम पर राशि खर्च कर शासन को 15 करोड़ रुपये का चूना अधिकारियों ने लगाया है ।
उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व का गठन 2009 में हुआ है परन्तु इससे पहले उसका नाम उदंती अभ्यारण्य हुआ करता था | उदंती अभ्यारण्य वन भैसों के लिए बनाया गया था जहा वन भैसों का संरक्षण संवर्धन किया जाता है | यहाँ 15 से 20 साल पहले ही टाईगर का नामोनिशान मिट चुका है अर्थात 15 से 20 साल से यहाँ कोइ भी टाईगर नहीं है | परन्तु टाईगर नहीं होने के बाद भी उदंती अभ्यारण्य को सरकारी आबंटन के लालच में जबदस्ती टाईगर रिजर्व घोषित करा के उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व नाम करण कर दिया गया है | जबकि वास्तविकता यह है की उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में पिछले 15 सालो से कोइ टाईगर है ही नहीं | और गत वर्ष कुल्हाड़ीघाट के जंगलो में कैमरों में जो बाघ की तस्वीरे आई थी वो उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के बाघ नहीं थे वे बाघ उड़ीसा के सोनाबेडा अभ्यारण्य के बाघ थे जो भोजन और प्रजनन की तलास में उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में एकाध चक्कार लगा लेते थे जैसे की उड़ीसा के हाथी अभी इस क्षेत्र में आ जा रहे है बिलकुल वैसा ही उड़ीसा के बाघ भी कभी कभार इधर आ जाते है | और इसी दौरान उड़ीसा के बाघ की तस्वीर उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में लगाए गए कैमरों में आ गयी | फिर तो वन विभाग ने ढिंढोरा पीट डाला की उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में बाघ है |
उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर विवेकानंद रेड्डी ने भी कहा है की बाघों का कोइ निश्चित स्थान नहीं है कभी तो वे उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में रहते है तो कभी उड़ीसा के जंगलो में चले जाते है | स्पष्ट हो रहा है की वन विभाग के द्वारा बहुत कुछ छिपाया जा रहा है | परन्तु पिछले साल की गणना ने उनकी पोल खोल दिया है | इस साल के गणना में उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में लगाए गए 200 कैमरों में से एक में भी यहां बाघ की मौजूदगी के सबूत नहीं मिले हैं | जबकि बाघ के नाम पर विभाग अब तक 14 करोड़ रुपया से भी ज्यादा राशि खर्च कर चुकी है और यह राशि कहा खर्च किया गया कोइ रिकार्ड ही नहीं है |
उड़ीसा के सोनाबेडा के जंगल में किया गया था बाघ का शिकार – यहां पिछले साल देखे गए बाघ के जोड़े का शिकार किया जा चुका है है | पुलिस ने बाघ की खाल बेचने की फिराक में घूम रहे दो लोगों को 14 फरवरी को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेज दिया था | आरोपियों ने सोनाबेड़ा जंगल में बाघ का शिकार करने की बात कुबूल की थी | 200 में से एक भी कैमरा ट्रेप में बाघ की मौजूदगी का एक भी सबूत वन विभाग के हाथ नहीं लगा है | उदंती और सीतानदी वाइल्डलाइफ सेंचुरी को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाए जाने से पहले सीतानदी वाइल्डलाइफ सेंचुरी में 2005 तक करीब पांच बाघ हुआ करते थे | लेकिन आज हालत ये है कि यहां के जंगल से बाघों का सफाया हो चुका है | इसलिए अब उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व को समाप्त कर देना चाहिये |
इस वर्ष नहीं मिले मौजूदगी के सबूत– बाघों की गणना के काम से जुड़े एनटीसीए के लोगों का कहना है कि उदंती- सीतानदी टाइगर रिजर्व में इस वर्ष एक भी बाघ कैमरे में ट्रैप नहीं हुआ है और न ही अन्य माध्यमों से इसकी मौजूदगी के पुख्ता सबूत मिले हैं। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष तक देखे गए बाघ के जोड़े का शिकार हो चुका है और आरोपियों को गरियाबंद पुलिस जेल भेज चुकी है। राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण (एनटीसीए) के दिशा-निर्देश पर देशभर में बाघों की गणना इस साल की है परन्तु उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में कोइ भी बाघ के मोजुदगी के प्रमाण नहीं मिले है जबकि उदंती और सीतानदी अभयारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाए जाने से पहले सीतानदी अभयारण्य में 2005 तक 4 से 5 बाघ मौजूद थे। इसकी पुष्टि वन विभाग की वन्य प्राणी गणना में भी होती रही है। बाद में एक-एक कर सारे बाघों का शिकार हो गया। कुल्हाड़ीघाट रेंज में पिछली गणना में जो बाघ के चिन्ह मिले थे वो उडीसा के बाघों के थे मिले थे जिनका शिकार हो गया है । गरियाबंद पुलिस ने शेर की खाल बेचने की फिराक में घूम रहे ग्राम कुकरार निवासी मेघनाथ नेताम और जरंडी निवासी कंवल सिंह नेताम को बीते 14 फरवरी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में खाल के लिए उड़ीसा के सोनाबेड़ा जंगल में शेर का शिकार करने की बात कुबूल की थी।