छत्तीसगढ़

भारतपे की कर पूर्व आय हुई सकारात्मक,अक्टूबर 2023 पहला लाभप्रद माह

नई दिल्ली फिनटेक यूनिकॉर्न भारतपे की अक्टूबर में कर पूर्व आय सकारात्मक हो गई और वार्षिक राजस्व 1,500 करोड़ रुपये...

लोधेशवरधाम को मिलेगी राष्ट्रीय पहचान,समाज का कार्य अनुकरणीय झ्र विपिन वर्मा

रायपुर लोधेश्वरधाम में आयोजित सामाजिक सम्मेलन में देश भर से जुटे सदस्यों को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय लोधी-लोधा-लोध के...

क्रिकेट के दीवाने छात्र तीन बजे पहुंच गए टिकट लेने स्टेडियम

रायपुर एक दिसंबर को भारत और आस्ट्रेलिया के मध्य होने वाले चौथे टी20 मैच को लेकर क्रिकेट प्रेमियों में काफी...

19 जनवरी 2024 को रिलीज होगी पंकज त्रिपाठी की फिल्म मैं अटल हूं

19 जनवरी 2024 को रिलीज होगी पंकज त्रिपाठी की फिल्म मैं अटल हूं मुंबई बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी की आने...

मार्वल स्टूडियोज की ‘एवेंजर्स: द कांग डायनेस्टी’ की पटकथा लिखेंगे माइकल वाल्ड्रॉन

मार्वल स्टूडियोज की 'एवेंजर्स: द कांग डायनेस्टी' की पटकथा लिखेंगे माइकल वाल्ड्रॉन लॉस एंजिलिस  मार्वल स्टूडियोज ने 'एवेंजर्स: द कांग...

चुनाव खत्म होते ही विदेश जा रहे राहुल गांधी,4 देशों की यात्रा का प्लान

नईदिल्ली कांग्रेस नेता राहुल गांधी 9 दिसंबर को विदेश जाने की तैयारी कर रहे हैं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक राहुल...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।