शिवशंकर सोनपिपरे

निशुल्क दन्त शिविर का आयोजन…

चिकित्सक जनकल्याण संघ बेमेतरा के तत्वाधान में निशुल्क दंत शिविर आयोजित कार्यक्रम का सुभारम्भ नगर पालिका अध्यक्ष विजय सिन्हा डॉ...

कहाँ है 80 फिट का प्राकृतिक शिवलिंग जो श्रद्धालुओ की मनोकामनाओ को पूरी करते है।…

कहा है 80 फिट का प्राकृतिक शिवलिंग जो श्रद्धालुओ की मनोकामनाओं को पूरी करते है।... रायपुर राजधानी से 100 किलोमीटर...

काशी में मूर्तियों का विध्वंस रोके सरकार- अविमुक्तेश्वरानन्द

काशी में मुर्तियों का विध्वंस रोके सरकार - अविमुक्तेश्वरानंद 🔴अस्सीघाट से राजघाट तक पदयात्रा 7 मई को 🔴श्रीकाशी विश्वनाथ कारिडोर...

काशी में मूर्तियों को विध्वंश होने से रोके सरकार-

काशी में मुर्तियों का विध्वंस रोके सरकार - अविमुक्तेश्वरानंद 🔴अस्सीघाट से राजघाट तक पदयात्रा 7 मई को 🔴श्रीकाशी विश्वनाथ कारिडोर...

युवाओं को अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए सच्ची लगन व कठिन परिश्रम की जरूरत…

युवाओं को अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए सच्ची लगन एवं कठिन परिश्रम की जरूरत - संसदीय सचिव श्री बाफना...

हिन्दू धर्म मे स्वयंभू बाबाओ की कोई जगह नही है :- स्वामी स्वरूपानंद

हिंदू धर्म में स्वयंभू बाबाओं की कोई जगह नहीं है : स्वामी स्वरूपानंद सुदीप्तो चटर्जी ::-  ज्योतिष एवं द्वारका शारदा...

छगन मूंदड़ा ने सिपेट का भ्रमण किया व सर्टिफिकेट प्रदान किये…

छगनलाल मूंधड़ा ने सिपेट का भ्रमण किया व सर्टिफिकेट प्रदान किये। भारत सरकार के भनपुरी स्थित सेन्ट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ प्लास्टिक...

You may have missed

” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।