काशी में मूर्तियों का विध्वंस रोके सरकार- अविमुक्तेश्वरानन्द

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काशी में मुर्तियों का विध्वंस रोके सरकार – अविमुक्तेश्वरानंद

🔴अस्सीघाट से राजघाट तक पदयात्रा 7 मई को
🔴श्रीकाशी विश्वनाथ कारिडोर के विरोध का जनता करने लगी रोडमैप तैयार

सुदीप्तो चटर्जी ” खबरीलाल ” रिपोर्ट ::- श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में कारिडोर के नाम पर मंदिरों और उसमें स्थापित वेद पूराणों में वर्णित विग्रहों को बेरहमी के साथ ध्वस्त किया जा रहा है। काशी में देवी देवताओं को बचाने के लिए जन आन्दोलन शुरु किया जायेगा। मंदिर बचाओ आन्दोलनम् के तहत 7 मई 2018 को सायं 4 बजे अस्सीघाट से राजपाट तक पदयात्रा कर आन्दोलन की शुरुआत की जायेगी। इसके बाद प्रतिदिन काशी 84 घाटों पर अलग-अलग समाज के सभी वर्गो द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जायेगा ।

इसी क्रम में 16 मई से काशी में मंदिर तोड़ने के विरोध और देवी देयताओं की सुरक्षा के लिए काशी यात्रा शुरु किया जायेगा, यात्रा का समापन 29 मई को विशाल सभा के साथ किया जायेगा। यह बात शनिवार को केदारघाट स्थित श्रीविद्या मठ में आयोजित पत्रकार वार्ता में ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, बीएचयू के न्यूरोलाजिस्ट प्रो विजयनाथ मिश्र ने संयुक्त रुप से कही।

स्वामीश्री ने कहा कि केन्द्र और प्रदेश में हिन्दूवादी विचार धारा की पोषक सरकारों के इशारे पर काशी में विश्वनाथ कारिडोर के बहाने मंदिर परिसर में विभिन्न भवनों में मंदिर के बावजूद मूहमांगी रकम के बल पर मकानों को खरिदकर उसमे स्थापित पुराणो में वर्णित सैकड़ों वर्ष पुराने मंदिरो को तोडा जा रहा है और सरकार मौन है। उन्होने सरकार को अपनी छ: सूत्री मांग पत्र भी प्रेषित किया। मांग पत्र में कारिडोर प्रोजेक्ट से काशी की जनता को अवगत कराया जाय, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में संपत्तियों की रजिस्ट्री राज्यपाल के नाम क्यो बाबा के नाम पर रजिस्ट्री क्यो नहीं , श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर से सरकारी हस्तक्षेप हटाकर मंदिर को काशीवासियों के हवाले किया जाय, तोडे गये मंदिरों का उसी स्थान पर पुनर्निर्माण हो, व्यास परंपरा के पोषक व्यासजी को पुन: उनके स्थान पर स्थापित किया जाय, मंदिर और मुर्तियों के विध्वंस की कार्यवाही पर सरकार रोक लगाये, और काशी के मूल स्वरूप के साथ छेडछाड रुके , इसके लिए सरकार लिखित आश्वासन दे ताकि काशी को बचाया जा सके।

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