शिवशंकर सोनपिपरे

शासकीय उच्च.माध्यमिक विद्यालय जेवरा में लगा विधिक साक्षरता शिविर…

शासकीय उच्च.माध्यमिक विद्यालय जेवरा में लगा विधिक साक्षरता शिविर बच्चों ने जाने कानूनी अधिकार विधिक साक्षरता क्लब का भी विद्यालय...

स्वामिश्री: का चातुर्मास्य वृंदावन में होगा…

  स्वामिश्री: का चातुर्मास्य वृंदावन में होगा। खबरीलाल रिपोर्ट ::- जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि दंडी स्वामी...

छत्तीसगढ़ के चिन्हारी गरवा. घूरवा. अव बारी कांग्रेस के सरकार बनाबो ए दारी….

छत्तीसगढ़ के चिन्हारी गरवा. घूरवा. अव बारी कांग्रेस के सरकार बनाबो ए दारी............. . बालोद.... आज दिनांक 23 / 7...

गरियाबंद जिले के पायलीखंड में डायमंड की खुली खदान, 200 से 300 रुपए में बिक रहा लाखों का हीरा, ग्रामीण 5-5 फीट गहरा गड्ढा खोद खुद ही हीरे के टुकड़े निकाल रहे ।

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पत्रकारिता में विश्वसनीयता को कायम रखना बड़ी चुनौती- बृजमोहन अग्रवाल …

पत्रकारिता में विश्वसनीयता को कायम रखना बड़ी चुनौती- बृजमोहन अग्रवाल रायपुर। छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन का एक दिवसीय प्रादेशिक पत्रकार सम्मेलन...

संजय नेताम और नीरज ठाकुर के जिला महामंत्री बनने पर कार्यकर्ताओं ने जताया हर्ष*

*संजय नेताम और नीरज ठाकुर के जिला महामंत्री बनने पर कार्यकर्ताओं ने जताया हर्ष* तीव सोनी की रिपोर्ट.... *मैनपुर :-*...

छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन का “प्रदेश पत्रकार सम्मेलन” कल….

छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन का "प्रदेश पत्रकार सम्मेलन" कल.... छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन का "प्रदेश पत्रकार सम्मेलन" कल एवं गणेश शंकर विद्यार्थी...

छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन का “प्रदेश पत्रकार सम्मेलन” कल…. “छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन”

छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन का "प्रदेश पत्रकार सम्मेलन" कल.... छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन का "प्रदेश पत्रकार सम्मेलन" कल एवं गणेश शंकर विद्यार्थी...

छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन का “प्रदेश पत्रकार सम्मेलन” कल….

छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन का "प्रदेश पत्रकार सम्मेलन" कल.... छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन का "प्रदेश पत्रकार सम्मेलन" कल एवं गणेश शंकर विद्यार्थी...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।