गरियाबंद जिले के पायलीखंड में डायमंड की खुली खदान, 200 से 300 रुपए में बिक रहा लाखों का हीरा, ग्रामीण 5-5 फीट गहरा गड्ढा खोद खुद ही हीरे के टुकड़े निकाल रहे ।
गरियाबंद जिले के पायलीखंड में डायमंड की खुली खदान, 200 से 300 रुपए में बिक रहा लाखों का हीरा, ग्रामीण 5-5 फीट गहरा गड्ढा खोद खुद ही हीरे के टुकड़े निकाल रहे ।
तीव कुमार सोनी
मैनपुर । गरियाबंद जिले के घने जंगलों वाले पायलीखंड की हीरा खदानों में अवैध खुदाई करनेवाले यहां बे रोक-टोक खुदाई कर रहे हैं। यहां और आसपास के गांवों में लोग काफी संख्या में हैं। चोरी-छिपे हीरा खुदाई करने वाले इन लाेगों से खदान के चारों तरफ एक्टिव माफिया ये हीरे 200 से 300 रुपए में खरीद लेते हैं। ऐसे की जा रही इन हीरों की तस्करी । राजधानी रायपुर से करीब 80 किमी दूर गरियाबंद, वहां से मैनपुर 45 किमी और फिर घने जंगल में 38 किमी और जाने के बाद पायलीखंड है । फाइलों में यह पूरा इलाका हीरे के किंबरलाइट पाइप्स की वजह से बेहद सुरक्षित है, वहां आने-जाने पर रोक लगी हुई है। लेकिन यहां के लोकल ग्रामीण इस इलाके में अवैध खुदाई का काम सालों से करते आ रहे है। कानून तोड़ने के बाद दिनभर खुदाई करके अगर किसी ने हीरे के एक-दो टुकड़े निकाल भी लिए, तो इनसे उसे दो वक्त की रोटी ही मिलेगी। क्योंकि हीरे का टुकड़ा निकलते ही माफिया सक्रिय हो जाता है।- दलाल मौके पर ही ये टुकड़े खरीद लेते हैं, दो या तीन सौ में। ये दलाल आसपास के गांवों में टिके महानगरों से जवाहरात माफिया को टुकड़े कई गुना कीमत पर पहुंचा रहे हैं।- पारखियों के हाथों में आते ही इनकी कीमत लाखों में पहुंच रही है।
दुनिया की इकलौती हीरा खदान, जिसकी कोई सुरक्षा ही नहीं – पायलीखंड का जायजा लिया गया तब खुलासा हुआ कि दुनिया में यह एकमात्र हीरा खदान है, जिसकी कोई सुरक्षा ही नहीं है । एकदम खुलेआम तो नहीं, लेकिन थोड़ा छिपकर कोई भी खुदाई कर सकता है। इसीलिए पायलीखंड और आसपास छत्तीसगढ़ के अलावा आंध्रप्रदेश, ओड़िशा और महाराष्ट्र आदि के व्यापारी तथा माफिया सीधे पहुंच रहे हैं । पूछताछ में पता चला कि कुछ तस्कर सीधे खुदाई करनेवालों के संपर्क में हैं, तो कुछ बिचौलियों के। जहां तक खुदाई करनेवालों का सवाल है, ऐसा नहीं है कि कुदाल मारी और हीरा निकल गया। कई-कई बार हीरे के टुकड़े एक दिन की खुदाई में निकल आते हैं, तो कभी एक-एक हफ्ता भी नहीं मिलते। जैसे ही कोई टुकड़ा निकलता है, बिचौलिये उसे घेर लेते हैं। दो-तीन सौ रुपए में इनका मौके पर ही सौदा हो रहा है।
तस्करी पर नही लग रही लगाम – पुलिस और क्राइम ब्रांच लगातार सक्रिय है और हीरा तस्करो पर कार्यवाही भी की जा रही है ।आये दिन हीरा के साथ तस्कर पकड़े जा रहे है । पुलिस के धर पकड़ के बाद भी हीरा तस्करो को कोई खौफ नही है वे लगातार तस्करी के कार्य मे लिप्त है । पुलिस उन कारोबारीयो के बारे में जानकारी जुटा रही है जो बड़े महानगरो में रह कर हीरा तस्करी को प्रात्साहित करते है । इसी से संकेत मिल रहे हैं कि हीरा तस्करों का सराफा में लिंक है। एक-दो नाम भी सामने आए हैं। उनके बारे में तथ्य जुटाए जा रहे हैं। पुलिस अफसरों को आशंका है कि राजधानी से हीरा खदान तक तस्करों की बड़ी चेन है। लंबे समय से अवैध तरीके से खुदाई कर यहां तस्करी की जा रही है।
1999 में हटा ली गई पूरी सिक्युरिटी – अवैध खुदाई को रोकने के लिए 1999 में पायलीखंड हीरा खदान को कांटेदार तारों से घेरा गया था। वहां बीएसएफ के जवान तैनात किए गए। एक साल में ही उन्हें हटा भी लिया। तब से यह खदान खुली हुई है। बारिश के कारण खदान झाड़ियों से ढंकी रहती है। भीतर भीतर पहुंचते ही यहां-वहां बड़े-बड़े गड्ढे साफ नजर आते हैं। ये गड्ढे गांव वालों ने हीरा तलाशने के लिए खोदे हैं। खदान की सिक्युरिटी के लिए 40 एकड़ जमीन फैंसिंग से घेरी थी। गांव वालों के लिए कोई रोकटोक नहीं है।
पायलीखंड में हीरे की खदान शुरू होने से रायपुर के देश का सबसे बड़े डायमंड बाजार बनने की उम्मीद जताई जा रही है । जानकारों ने बताया कि बहुत कम लोग और हीरे पकड़े जाते हैं, बाकी निकल जाते हैं। हालात ये हैं कि मैनपुर से लगे गांवों के अलावा आंध्रप्रदेश और ओडिशा से मजदूरों को बुलाकर खुदाई कराई जाने लगी है। खुदाई में निकले कच्चे हीरे ओडिशा और वहां से मुंबई, दिल्ली तथा राजस्थान तक भेजे जा रहे हैं । इसके लिए ओडिशा, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई के तस्कर भी न सिर्फ एक्टिव हैं, बल्कि खुदाई के दौरान मौके पर भी रहने लगे हैं ताकि टुकड़ा निकलते ही मोलभाव हो जाए।