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अफगानिस्तान में भूकंप से मरने वालों की संख्या 4000 हुई

इस्लामाबाद  पश्चिमी अफगानिस्तान में आए शक्तिशाली भूकंप में मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 4000 तक पहुंच गई है। तालिबान...

फूल सिंह बरैया की SP-कलेक्टर की उल्टा लटका देने की धमकी

भिंड प्रदेश में चुनावों से पहले कांग्रेस नेता फूल सिंह बरैया के बिगड़े बोल सामने आए हैं। बरैया ने प्रदेश...

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मध्यप्रदेश विधानसभा निर्वाचन के लिए 17 नवंबर को होगा मतदान

निर्वाचन की घोषणा के साथ ही लागू हुई आदर्श आचार संहिता प्रदेश में आदर्श आचरण संहिता का सख्ती से होगा...

गरबे में गैर हिंदू के प्रवेश पर लगे सख्ती से रोक, अश्लीलता भी स्वीकार नहीं की जाएगी : विहिप

भोपाल विश्व हिंदू परिषद, प्रान्त मध्यभारत ने नवरात्रि में गरबा करवान वाले आयोजकों को चेतावनी दी है कि इस आयोजन...

इजरायल-हमास युद्ध में इस मुस्लिम देश को होगा सबसे ज्यादा फायदा, विशेषज्ञों ने चेताया

डेनवर इजरायल और फलस्तीनी आतंकवादी समूह हमास के बीच छिड़े युद्ध में केवल एक ही विजेता होगा। और यह न...

चांद पर इंसानों के लिए बनेगी कॉलोनी, यात्रियों ने लिये ट्रांसपोर्ट सिस्टम क्या होगा!

 चांद पर वो जगह मिल गई है जहां इंसान अपना घर बना सकते हैं. जी हां, वैज्ञानिकों ने चांद पर...

कांग्रेस ने फिलिस्तीन का समर्थन किया, CWC की बैठक में प्रस्ताव पास

नई दिल्ली AICC हेडक्वॉर्टर में हुई बैठक के दौरान सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कांग्रेस नेता...

इजरायल को मिला US का साथ, शिप और वॉर प्लेन उतारने का ऐलान

वाशिंगटन इजरायल में चल रहे युद्ध को लेकर आखिरकार अमेरिका ने भी अपनी चुप्पी तोड़ दी है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।