इजराइल-हमास के युद्ध से भारत को ये बड़े झटके, दिखने लगा असर

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नईदिल्ली

इजराइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष (Israel-Palestine Conflict) लगातार बढ़ रहा है, दोनों ओर से की जा रही भारी बमबारी के चलते अब तक 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 4,000 से ज्यादा लोग घायल हैं. ये जंग रूस-यूक्रेन युद्ध (Russsia-Ukraine War) के बाद अब दुनिया के लिए एक बार फिर मुसीबत का सबब बन सकती है. इसका असर भारत में भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में देखने को मिल सकता है. आइए जानते हैं अगर जंग आगे बढ़ती और दूसरे देश भी इसमें भागीदारी करते हैं, जो इससे कौन-कौन से बड़े झटके लग सकते हैं.

700 इजराइली-450 फिलिस्तीनियों की मौत!
सबसे पहले बात युद्ध के ताजा हालात की, तो बता दें शनिवार को इजराइल (Israel) के कई क्षेत्रों में फिलिस्तीनी ग्रुप हमास (Hamas) द्वारा दनादन रॉकेट दागने के बाद से शुरू हुई जंग ने अब विकराल रूप ले लिया है. इजराइल ने भी गाजा पट्टी पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया है. रिपोर्ट्स की मानें तो दोनों और की इस जंग में 700 इजराइली और 450 फिलिस्तीनियों के मारे जाने की खबर है, जबकि हजारों लोग इसमें घायल हैं.

पहला झटका
Israel-Hamas के बीच जारी खूनी जंग की खबरें जहां दुनियाभर में सुर्खियां बनी हुई हैं, तो इससे बढ़ने वाले संकट पर भी चिंताएं बढ़ गई हैं. इस युद्ध से वैश्विक स्तर लगने वाले झटकों की बात करें तो सबसे पहला असर कच्चे तेल की कीमतों में इजाफे के रूप में दिखाई भी देने लगा है. शनिवार को संघर्ष की शुरुआत के बाद से अब तक क्रूड की कीमतें 4 फीसदी से अधिक बढ़ गई हैं, जिससे कच्चे तेल से समृद्ध क्षेत्र से संभावित आपूर्ति के झटके के बारे में चिंता बढ़ गई है. शुरुआती एशियाई कारोबार में ब्रेंट (Brent Crude) 4.7 फीसदी उछलकर 86.65 डॉलर पर और वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) 4.5 फीसदी बढ़कर 88.39 डॉलर पर पहुंच गया है.

गौरतलब है कि ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में रैपिडन एनर्जी ग्रुप के प्रेजीडेंट और व्हाइट हाउस के पूर्व अधिकारी बॉब मैकनेली ने कहा है कि अगर ये संघर्ष ईरान तक फैलता है, तो फिर तेल की कीमतों पर असर दिखेगा. हालांकि, इसकी संभावना कम है, लेकिन अगर इजराइल किसी भी ईरानी इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमला करके जवाब देता है, तो कच्चे तेल की कीमतों में तत्काल प्रभाव से बढ़ा इजाफा देखने को मिलने लगेगा. अगर ऐसा होता है, तो फिर भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर इसका असर दिखाई दे सकता है, क्योंकि भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर कच्चा तेल आयात करता है.

दूसरा झटका
इजराइल और भारत के रिश्ते काफी मजबूत हैं और इसके साथ ही दोनों बड़े व्यापारिक साझेदार भी हैं. इजरायल के लिए भारत एशिया में तीसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. इजराइल में कई भारतीय कंपनियों का निवेश है, तो इजराइली कंपनियों ने भी भारत में बड़ा इन्वेस्टमेंट किया हुआ है. दोनों देशों के बीच Export-Import पर नजर डालें तो वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने इजरायल से 1400 से अधिक तरह से आइटम्स इंपोर्ट किया है, जिसमें हीरा-मोती, फर्टिलाइजर्स, इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट और क्रूड ऑयल शामिल है. जबकि भारत से इजराइल को एस्पोर्ट किए गए सामानों की लिस्ट काफी लंबी है, जिसमें  हीरे, ज्वैलरी, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग सामान शामिल है.

रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच वित्त वर्ष में कुल 10 अरब डॉलर के करीब का कारोबार हुआ. इसमें एक्सपोर्ट 8.45 अरब डॉलर और इंपोर्ट 2.3 अरब डॉलर का किया गया. पोर्ट, शिपिंग समते कई सेक्टर में भारत और इजराइल का कारोबार कई मायनों में अहम है. ऐसे में फिलहाल जो युद्ध शुरू हुआ है उससे इस कारोबार पर असर पड़ने की संभावना बढ़ गई है.

तीसरा झटका
इजराइल-हमास युद्ध का असर भारत समेत दुनियाभर में पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है. न केवल भारत बल्कि अन्य देशों का एक्सपोर्ट-इंपोर्ट इससे प्रभावित होगा. कच्चे तेलों की सप्लाई (Crude Oil Supply) भी बाधित हो सकती है. कुल मिलाकर ये कहना गलत न होगा कि अगर ये जंग लंबी खिंची, तो फिर ग्लोबल इकोनॉमी (Global Economy) पर इसका बुरा असर पड़ सकता है और ठीक वैसे ही हालात सामने आ सकते हैं जैसे कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध (Russia-Ukraine War) के दौरान पैदा हुए थे. सप्लाई चेन प्रभावित होने से कई जरूरी सामानों पर संकट गहरा सकता है.

 

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