एसईसीएल द्वारा अधिग्रहित भूमि वापस करे सरकार, राजस्व मंत्री को सौंपा जाएगा ज्ञापन : माकपा
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने मांग की है कि जिस तरह दंतेवाड़ा में एनएमडीसी की जमीन पर काबिज परिवारों को भूमि का पट्टा देने के लिए राज्य सरकार ने प्रशासन को निर्देश दिए हैं, ठीक उसी तरह कोरबा सहित राज्य के अन्य जिलों में एसईसीएल की भूमि पर काबिज गरीबों को स्थायी पट्टा दिया जाए। माकपा और छत्तीसगढ़ किसान सभा ने इस संबंध में एक ज्ञापन राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल को सौंपने का भी निर्णय लिया है।
आज यहां जारी एक बयान में माकपा के कोरबा जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि 40-50 वर्ष पूर्व एसईसीएल ने कोरबा जिले में कोयला खनन के उद्देश्य से हजारों किसानों की भूमि का अधिग्रहण पानी के मोल किया था, जिसका मुआवजा और नौकरी पाने के लिए आज भी किसान भटक रहे हैं। लेकिन एसईसीएल की धोखाधड़ी का स्तर इस हद तक है कि अब कंपनी भूमि अधिग्रहण के बदले नौकरी देने के प्रावधान को ही हटाने जा रही है। कोल खदानों को बेचने की घोषणा के बाद इसका सीधा फायदा कॉर्पोरेट कंपनियों को मिलेगा, जो पर्यावरण बर्बाद करना तो जानती है, लेकिन लोगों को आबाद करना नहीं।
उन्होंने कहा कि अधिग्रहण के 50 सालों बाद भी इस जमीन का उपयोग एसईसीएल द्वारा नहीं किया गया है और अधिग्रहित भूमि पर किसानों का ही कब्जा बरकरार है और आज तक वे खेती कर रहे है। इससे स्पष्ट है कि इस तरह का अधिग्रहण पूरी तरह से बोगस था। बीच-बीच में प्रबंधन व अन्य लोगों द्वारा काबिज किसानों को हटाने के लिए डराने-धमकाने की मुहिम भी चलाई जाती है। ग्राम घुड़देवा के ऐसे ही एक प्रकरण में माकपा व किसान सभा नेता नंदलाल कंवर और जवाहर कंवर ने हस्तक्षेप कर किसानों का विस्थापन रोका है।
माकपा ने कहा कि यह समस्या केवल कोरबा जिले की नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश की है, जहां एसईसीएल द्वारा भूमि अधिग्रहित की गई है। माकपा ने मांग की है कि अधिग्रहित जमीन मूल भूस्वामी परिवार को लौटाई जाएं। इसके लिए पार्टी संघर्ष की रूपरेखा भी तैयार कर रही है। इसी संदर्भ में एक ज्ञापन देकर राजस्व मंत्री का ध्यान इस समस्या की ओर आकर्षित किया जाएगा।