आरसेप के खिलाफ पूरे छत्तीसगढ़ में हुए विरोध प्रदर्शन…..

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आरसेप मुक्त व्यापार समझौते के खिलाफ किसान संगठनों के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के आह्वान पर आज छत्तीसगढ़ में भी कई स्थानों पर प्रदर्शन किए गए, रैलियां निकली गई, आरसेप का पुतला दहन किया गया और प्रधानमंत्री के नाम जन-ज्ञापन दिए गए।

छत्तीसगढ़ किसान सभा और आदिवासी एकता महासभा ने प्रस्तावित समझौते के बारे में देश की जनता को अंधेरे में रखने का आरोप मोदी सरकार पर लगाया है। दोनों संगठनों ने कहा है कि कृषि राज्य का विषय है, इसके बावजूद न तो राज्य सरकारों से और न ही संसद से कोई सलाह-मशविरा किया जा रहा है। लेकिन प्रस्तावित समझौते की शर्तों से स्पष्ट है कि भारत को शून्य आयात शुल्क पर अपने दरवाजे विदेशी वस्तुओं के लिए खोलने होंगे, जिसमें अनाज, सब्जी, मसाले, मछली, दुग्ध उत्पाद, ऑटोमोबाइल्स, इलेक्ट्रॉनिक सामान, इस्पात, कपड़े आदि सब कुछ है। इससे हमारे देश का बाजार विदेशी वस्तुओं से पट जाएगा और हमारी चीजों का ही हमारे देश में खरीददार नहीं रहेगा।

सूरजपुर जिले के भैयाथान में तहसील कार्यालय पर सैकड़ों किसानों और आदिवासियों ने धरना देकर प्रदर्शन किया। किसान सभा नेता कपिल पैकरा ने कहा कि यह समझौता खेती में लगे किसानों, पशुपालकों, मछुआरों और उद्योगों में लगे मजदूरों से रोजगार छीन लेगा। जबकि आर्थिक मंदी से निपटने के लिए सरकार को कृषि और उद्योगों के लिए संरक्षणवादी कदम उठाने चाहिए।

कोरबा में माकपा नेता प्रशांत झा के नेतृत्व में आरसेप का पुतला दहन किया गया। उनका कहना है कि भारत जिन देशों के साथ मुक्त व्यापार के लिए समझौता कर रहा है, उनके साथ व्यापार में हर साल 8 लाख करोड़ रुपये का घाटा उठा रहा है। इस समझौते से हम एक शुद्ध आयातक देश मे तब्दील होकर रह जाएंगे और हमारी खाद्यान्न आत्म-निर्भरता खत्म हो जाएगी।

सरगुजा में भी छग किसान सभा के महासचिव ऋषि गुप्ता और आदिवासी एकता महासभा के महासचिव बालसिंह के नेतृत्व में किसानों ने प्रदर्शन किया और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि एक ओर तो यह सरकार किसानों की आय दुगुनी करने की जुमलेबाजी कर रही है, वहीं दूसरी ओर ऐसा किसान विरोधी समझौता कर रही है कि वे पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे। हमारे देश के एक लाख रुपये आय वाले किसानों से कहा जा रहा है कि तीन लाख रुपये सरकारी सब्सिडी पाने वाले जापानी किसान का अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मुकाबला करें, जो हास्यास्पद है।

रायगढ़, चांपा, और मरवाही में भी किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर इस समझौते पर हस्ताक्षर न करने की मोदी सरकार से मांग की है।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार किसानों को लाभकारी समर्थन मूल्य देने के लिए तैयार नहीं है, राज्यों के साथ अनाज खरीदी में भेदभाव बरत रही है और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बर्बाद कर रही है। यह सुनियोजित षड्यंत्र कॉर्पोरेट अनाज मगरमच्छों को देश का घरेलू बाजार सौंपने के लिए रचा जा रहा है।

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