35 सालों से चली आ रही दुर्गा स्थापना की परंपरा

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जांजगीर से लगे ग्राम खोखरा के देवांगन चौक में विराजी मां दुर्गा
जांजगीर-चांपा। कहते है आस्था का दीप जलाए रखना बहुत कठिन होता है। क्यों इंसान की परिस्थितियाँ एक जैसी नहीं होती और जीवन शैली में परिवर्तन आने से आस्था का दीप डगमगाने लगता है। लेकिन जब दैवीय शक्ति साथ हो तो हर दीपक अपने आप निर्बाध रूप से जलता रहता है।
ऐसी ही शक्ति जिला मुख्यालय जांजगीर से जुड़े हुए एक गांव को भी मिली है जहां दुर्गा देवी की स्थापना 35 सालों से लगातार की जा रही है। कई समस्याएं आने के बाद भी यहां के लोग दुर्गा देवी की स्थापना से लेकर विसर्जन तक बराबर समय निकालते हैं। मिली जानकारी के अनुसार 1984 से खोखरा ग्राम के देवांगन चौक मे दुर्गा स्थापना की जा रही है। जिस समय इस चौक में दुर्गा स्थापना का कार्य शुरू किया गया उस वक्त एक दुर्गाेत्सव समिति आपसी सहयोग से बनाई गई जिसके अध्यक्ष शिव देवांगन को बनाया गया। चौक के वरिष्ट नागरिक बच्चाराम देवांगन जी बताते है कि पुराने समय में देवी की मूर्ति लाने के लिए एक रिक्सा होता था। समिति के सभी सदस्य पदयात्रा करते हुए कीर्तन के साथ देवी की प्रतिमा को चांपा से देवांगन चौक खोखरा तक लाया करते थे। बड़े उल्लास के साथ दुर्गा देवी की पूजा अर्चना के बाद उसका विसर्जन हसदेव नदी में किया जाता था। अब विसर्जन का कार्य गांव के ही तालाब में किया जाता है। शिव ने कई सालो तक इस प्रथा को जारी रखा फिर बलभद्र देवांगन, जगदीश देवांगन ने इस कार्य को आगे बढ़ाया। वर्तमान में इसे नवयुवक सेवा समिति द्वारा सम्भाला जा रहा है जिसके अध्यक्ष बसंत देवांगन है। उसके द्वारा बताया गया पुरानी पीढ़ी के परंपरा को बनाए रखना नवीन पीढ़ी का कार्य होता है इसलिए अब इस रीति को नवयुवक दुर्गोत्सव सेवा समिति आगे बढ़ा जा रही है। समिति के सचिव संजय देवांगन के अनुुसार यहां स्थापित की जानी वाली देवी की मूर्ति को विशेष आर्डर देके बनवाया जाता है जिससे देवी की दिव्य प्रतिमा लोगो के लिए प्रमुख आकर्षण का केन्द्र बनी रहती है। इसके अलावा यहां रात्री में जसगीत का भी आयोजन होता है जिससे ग्रामीण झूमने को मजबूर हो जाते है।

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