आतंक से मिलकर लड़ेंगे भारत-बांग्लादेश, भारत स्थापित करेगा तटीय निगरानी प्रणाली

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नई दिल्ली। भारत और बांग्लादेश ने आतंक को कतई बर्दाश्त नहीं करने (जीरो टॉलरेंस) का संकल्प दोहराते हुए शनिवार को कहा कि दोनों देश मिलकर आतंकवाद, उग्रवाद और संगठित अपराध का मुकाबला करेंगे। दोनों देशों ने कहा कि आतंकवाद उनके देशों और पूरे क्षेत्र के लिए बड़ा खतरा है।
समुद्र तटीय सुरक्षा को आगे बढ़ाते हुए यह निश्चय किया गया कि भारत-बांग्लादेश में तटीय निगरानी रडार प्रणाली स्थापित करेगा। इस संबंध में एक करार पर हस्ताक्षर किए गए। समुद्री रक्षा सहयोग के लिए भारत की ओर से घोषित 50 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा को अमल में लाने के लिए तेजी से काम करने का फैसला भी किया गया।
मालदीप के बाद बांग्लादेश दूसरा देश होगा, जहां भारत तटीय निगरानी प्रणाली स्थापित करेगा। मोदी और शेख हसीना ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर शांति बनाए रखने और अपराधों की रोकथाम की जरूरत पर बल दिया। यह निश्चय किया गया कि सीमा पर बाढ़ लगाने का काम तेजी से पूरा किया जाएगा। सीमा पर नागरिकों की जान-माल की हानी की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए तय किया गया कि दोनों देशों के सुरक्षा बल इस तरह की घटनाओं पर पूरी तरह रोक लगाएंगे।
विवादास्पद तीस्ता नदी जल बंटवारे मुद्दे पर बांग्लादेश ने आग्रह किया कि इस संबंध में वर्ष 2011 में बनी सहमति के अनुरूप शीघ्र समझौता होना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने मेहमान नेता को बताया कि उनकी सरकार इस मुद्दे से जुड़े विभिन्न हितधारकों से बातचीत कर रही है ताकि शीघ्र समझौता हो सके।
प्रधानमंत्री मोदी ने म्यांमार से आए रोहिंग्या शरणार्थियों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए बांग्लादेश की सराहना की। भारत कोकस बाजार में रोहिंग्या शरणार्थी शिविर के लिए मानवीय सहायता की एक और खेप भेजेगा। भारत में म्यांमार के राखिने रोहिंग्या क्षेत्र में 250 आवास बनाने की परियोजना पूरी कर ली है तथा नए विकास कार्यों पर काम किया जा रहा है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि रोहिंग्या शरणार्थियों की अपने देश में जल्द और सुरक्षित वापसी हो सके।

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