एक महान कर्मवीर योद्धा. जिनके आंदोलन का लोहा दुनिया मानती थी. शहिद कामरेड शंकर गुहा नियोगी विशेष.

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बालोद, (रायपुर) – – बचपन से एक शब्द सुनते आ रहा हूं. हम बनाबो नवाँ पहिचान. राज करही मजदूर किसान. हर मजदूर के एक पहिचान. हर हाथ ला काम. यही वो नारा है. जो आज भी मजदूरों को अपनी ओर बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है. आज भी वो महान व्यक्ति की याद आते ही आँखों से अश्रु धारा फुट पढ़ती है. कहते हैं. नियोगी जी मजदूर आंदोलन को लेकर हमेशा से ही चिंतित रहते थे. कम्युनिस्ट विचार से प्रभावित थे. लेकिन मजदूरों के लिए लंबी लड़ाई लड़ने कमर कस चुकी सिद्धांतीक कड़ी मेहनतकश मजदूरों के लिए. छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा का गठन कर. लाल हरा झंडा के बैनर तले. पूंजी पतियों के खिलाफ मजदूर आंदोलन का आगाज करने में सफल हो गया. किसानो के लिए सिंचाई की सुविधा. मजदूरों के हक को लेकर कई आंदोलन किए. जिसके चलते. हर मजदूर उसे मसीहा कहकर पुकारा करते थे. आज भी दल्ली राजहरा में कई घरों में नियोगी जी को ईश्वर का अवतार मानते हैं. लोग आज भी कहते हैं. अगर आज नियोगी होते तो शायद. छत्तीसगढ़ की राजनीतिक फिजा कुछ और होती. आज ही के दिन 28 सितंबर 1991 को 32 बंगला भिलाई के निजी घर में सोये हुए नियोगी जी को. आधी रात गोली मार दिया गया. गोली लगने के खबर लगते ही. दल्ली राजहरा. भिलाई. नंदिनी. अहिवारा. हीर्री. राजनांदगांव. सहित पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई. आज भी वह दिन याद आते हैं. जब हज़ारों की संख्या में लोग. लाल मैदान पहुंच. नियोगी जी की अंतिम यात्रा में शामिल हुए थे. लोगों के आंसू रोके नहीं रुक रहे थे. इंकलाब जिंदाबाद. शहिद नियोगी अमर रहे. के नारों से लाल मैदान गूंज रहा था. हज़ारों लोगों के आँखों में आंसू और जुबा पर बस एक ही बात आखिर. हमारे मसीहा कहाँ गए. हमे अनाथ बना कर कहाँ गए. आज भी नियोगी जी के बताए रास्ते पर मुक्ति मोर्चा के सदस्य आगे बढ़ रहे हैं. सर्वोच्च छत्तीसगढ़ न्यूज . परिवार की ओर से शहीद कामरेड शंकर गुहा नियोगी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. यादे ही शेष है. निर्माण के लिए संघर्ष. संघर्ष के लिए निर्माण. आज भी जारी है….. के. नागे. की कलम से.

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