भगवान् भरोसे जिले का एकलव्य स्कूल.भारी अनियमितता के बीच चांवल चुनने को मजबूर छात्र,छात्राये…
भगवान् भरोसे जिले का एकलव्य स्कूल.भारी अनियमितता के बीच चांवल चुनने को मजबूर छात्र,छात्राये..
बालोद. जिले का एक मात्र एकलव्य स्कूल जो कि
, दल्ली राजहरा मे संचलित है. पालको के शिकायत के आधार पर जब कुछ पत्रकारों ने जब एकलव्य स्कूल का निरीक्षण किया तो भौचक रह गए. स्कूल में ना शिक्षक मिला. और ना अधीक्षक. सिर्फ चपरासी और रसोइया के भरोसे चल रहा था स्कूल. जब हमारे प्रतिनिधि स्कूल में पहुंचे तो देखा कि.
एकलब्य स्कुल के बच्चो से काम लिया जा रहा था. और आदिवासी बच्चो से काम लिया जा रहा था. छोटे छोटे बच्चो से काम लिया जा रहा था. बच्चों को शिछा देने के बजया बच्चो काे खली समय पढने या खेला समय होताहै . ऎसे समय में चांवल चुनने के लिए लगा दिया गया था. आदिवासी बच्चो के लिए समुचित शिक्षा सुविधा के लिए छत्तीसगढ़ शासन पुरे ज़ोश खरोश के साथ अनिवार्य शिक्षा दिया जा रहा है. बच्चों के भविष्य के लिए एकलव्य स्कूल का निर्माण किया गया है लेकिन यहां छाञावास अधिक्षक बिना किसी को बताए
छात्रावास से नदारद थे. जब अधीक्षक के मोबाइल पर फोन किया तो मोबाइल बंद मिला. बच्चो को पुछा गाया तो कोई जावब नही मिला. और यहाँ तक कि वहां पर उपस्थित अन्य कर्मचारियों ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया. एक गैर जिम्मेदार अधीक्षक जो बच्चों से काम करवा रहे थे. आदिवासी बच्चो के शिक्षा के साथ हनन किया जा रहा है. बच्चों की सखंया १२ ० छात्र और 80 छात्रा बताया गया आैर चापरसी अजुन सिह ठाकुर से
मिले और आदिवासी बच्चो से काम नही करने क ेलिये कहा गया. जब बच्चो को पुछा गया कि काम करने के लिए किसने काहा तो बच्चों ने जवाब नही दिया. बच्चो ने फोटो और विडीयो को खुद रोका रहा था छाञा नायक कोराम और छाञा नायीक मरकाम माना करा रहे थे ये सब अधीक्षक का रैवया के कारण या लपारवाही के
कारण शिक्षा का स्तर गिरा रहा है. उक्त मामले में जब अधीक्षक का पक्ष जानने के लिए मोबाइल से संपर्क किया गया तो. कवरेज में नहीं होने के कारण बात नहीं हो पाया. यहां एक बात साफ झलकती है. छत्तीसगढ़ शासन का एक स्लोगन. स्कूल आ पढ़े बर. जिनगी ला गढ़े बर. जिसका जीता जागता उदाहरण है. दल्ली राजहरा का एक मात्र एकलव्य स्कूल.
बालोद से के.नागे की रिपोर्ट…