22 नवंबर को राजधानी रायपुर में ओबीसी महासभा के जनसभा में उमड़ा जनसैलाब..

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रायपुर:- ओबीसी महासभा प्रदेश इकाई छत्तीसगढ़ के तत्वाधान में राजधानी रायपुर में विशाल जनसभा का आयोजन 22 नवंबर 2022 को छत्तीसगढ़ प्रदेश की बुढ़ा तालाब धरना स्थल रायपुर में किया गया। आयोजन का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ राज्य में ओबीसी को आबादी के अनुरूप शिक्षा, नौकरी, पदोन्नति एवं राजनीति में आरक्षण प्रदान करना है ।

देश की संघीय संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार सामाजिक एवं शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए समुदाय को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के रूप में 3 वर्गों में वर्गीकृत किया गया है। सामाजिक एवं शैक्षणिक स्थिति के आधार पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को समानता के अवसर उपलब्ध कराते हुए समुचित विकास एवं उत्थान की व्यवस्था किया गया है, तदानुसार केंद्र शासन द्वारा अ. जा. एवं अ. ज. जा. को कुल 22.5 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है एवं केंद्र सरकार ने 1992 में मंडल कमीशन के अनुशंसा के अनुसार संविधान लागू होने के 44 साल बाद माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार 1994 में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, साथ ही राज्यों की स्थिति के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग को राज्य शासन के द्वारा आरक्षण सुनिश्चित करने का अधिकार दिया गया है ,किंतु ओबीसी समुदाय को अविभाजित मध्यप्रदेश में मात्र 14% आरक्षण था ,जो कि आज पर्यंत छत्तीसगढ़ राज्य में लागू है ।बहुसंख्यक ओबीसी समुदाय को आबादी के अनुरूप हिस्सेदारी( आरक्षण) प्रदान नहीं करने के कारण प्रदेश की ओबीसी समुदाय के समुचित विकास एवं उत्थान में अपरिमित नुकसान हो रही है।

ज्ञात हो कि तमिलनाडु राज्य सरकार के द्वारा ओबीसी को 50 प्रतिशत आरक्षण सहित कुल 69 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। इसी प्रकार हाल में ही झारखंड राज्य सरकार द्वारा कुल 77 प्रतिशत की आरक्षण देते हुए विधानसभा में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण हेतु विधेयक पारित कर व्यवस्था सुनिश्चित किया गया है। माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 नवंबर 2022 को सामान्य वर्ग के लिए 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण को यथावत लागू रखने का निर्णय दिया गया, जिससे बालाजी केस एवं इंदिरा साहनी केस में लगाई गई 50% कैपिंग को पार करने के बाद ओबीसी को आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी देने का रास्ता खोल दिया है।

 उपरोक्त आरक्षण व्यवस्था के प्रकाश में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति एवं सामान्य वर्ग को जनसंख्या के अनुपात में दिए जा रहे आरक्षण के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में ओबीसी समुदाय को भी आबादी के अनुरूप शिक्षा, रोजगार, पदोन्नति एवं राजनीति में हिस्सेदारी (आरक्षण) प्रदान कर ओबीसी समुदाय के समुचित विकास एवं उत्थान के अवसर प्रदान करने के लिए विधानसभा के विशेष सत्र में विधेयक पारित करने की मांग ओबीसी महासभा करती है।

लेख है विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की आजादी के बाद से देश प्रदेश के विकास एवं आर्थिक रूप से देश की अर्थव्यवस्था में *रीढ़ की हड्डी* की तरह अति महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले मतदाता, वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में अन्य पिछड़े वर्ग की लगभग 50% आबादी निवासरत है । साथ ही वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष ,नेता प्रतिपक्ष, गृहमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री एवं बहुत से विधायकगण ओबीसी समुदाय से आते हैं। समान परिस्थितियों के बावजूद भी ओबीसी समुदाय के लोगों ,युवाओं एवं छात्र छात्राओं के हितों पर लगातार कुठाराघात हो रहा है। अतः ओबीसी समुदाय के उत्तरोत्तर उत्थान एवं प्रगति हेतु छत्तीसगढ़ सरकार ओबीसी के आरक्षण के मुद्दे को विधानसभा में पारित कर ओबीसी को आबादी के अनुरूप हिस्सेदारी (आरक्षण )प्रदान कर ओबीसी हित में सरकार अपनी संवैधानिक प्रतिबद्धता पूर्ण करें। चन्द्रजीत देवांगन प्रदेशअध्यक्ष युवामोर्चा के द्वारा आभार व्यक्त किया गया।

 जनसभा में राष्ट्रीय अध्यक्ष ओबीसी हेमन्त कुमार विद्यार्थी मोर्चा भारत,ओबीसी समुदाय के अनेक जाति समाज के प्रदेशअध्यक्ष एवंपदाधिकारियों तथा ओबीसी महासभा के प्रदेश,संभाग,जिला,ब्लाक एवं सभी इकाई के पदाधिकारियों सहित हजारों की संख्या में शामिल हुए ।

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